मथुरा के माट में सोमवती अमावस्या पर सोमवार को भांडीरवन में श्रद्धालुओं की भीड देखते ही बन रही थी ऐसी मान्यता है कि यहां राधा कृष्ण का विवाह हुआ था उक्त विवाह स्वयं ब्रह्मा जी द्वारा संपन्न कराया गया था| यही भगवान कृष्ण का विवाह के बाद मुकुट भी सिराया गया था गर्ग संहिता के आधार पर यहां एक पवित्र बैणुकूप का जल आज तक नहीं सूखा है|
मान्यता है कि श्री कृष्ण यहां गोचरण करते हुए भांडीरवन आये |तो उन्होंने कंस द्वारा भेजे बछड़े के रूप में बकासुर नामक राक्षस का वध किया था | विद्वानों द्वारा बछड़े का वध करने के पाप से मुक्ति पाने के लिए उन्हें सभी तीर्थों की यात्रा कर स्नान करना बताया गया था| तब भगवान ने यही पर बांसुरी कुंआ खोदकर सारे तीर्थों का आव्हान किया था और इसमें स्नान कर गौ हत्या का प्रायश्चित किया था|
शिवायतो द्वारा बताया गया कि भांडीरवन मंदिर में राधा जी की मांग में सिंदूर भरते हुए अद्वितीय कृष्ण भगवान का विग्रह कैवल भांडीरवन में ही मौजूद है | इसमें श्रीकृष्ण भगवान ने राधा रानी की मांग भर रहे हैं| यह भी बताया गया कि सोमवती अमावस पर ब्रह्म मुहूर्त में बैणुकूप से दूध की धार निकलती है और इसमें स्नान से सभी की मनोकामना पूर्ण होती है| कुआं के स्नान के बाद एक छोटे कुंड में एकत्रित जल में स्नान करने से निसंतान दंपति को संतान की प्राप्ति होती है| महिला यहां स्नान करने के बाद पुराने वस्त्र व आभूषण त्याग कर नए वस्त्र धारण करती हैं|