न्याय न मिलने पर इच्छा मृत्यु की मांग जिला कलेक्ट्रेट पर बैठा पीड़ित,दबंगों के कब्जे से जमीन मुक्त कराने के लिए खा रहा दर दर की ठोकर
सिद्धार्थनगर: भारत का संविधान सबको समान रूप से सम्मान के साथ जीने का अधिकार देता है लेकिन वीर भोग्या वसुंधरा का नियम आज भी कायम है आदि से लेकर आज तक ताकत का ही वर्चस्व कायम है हां ताकत के मायने जरूर बदल गए आज पैसा और राजनीतिक पहुंच रखने वाला ही ताकतवर माना जाता है जिसकी सारी गलतियां क्षम्य हो जाती हैं। संविधान में प्रदत्त अधिकारों के बदौलत यदि कोई अपने हक की आवाज उठाता है
तो वह अपनी जमा पूंजी के साथ ही अपना चैन और सुकून भी गवा देता है और पुस्त दर पुस्त एड़िया रगड़ते रगड़ते बर्बाद व तबाह हो जाता है लेकिन न्याय के नाम पर सिर्फ निराशा हाथ लगती है ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के जनपद सिद्धार्थनगर में देखने को मिला जहां अपनी पैतृक जमीन को दबंगों के कब्जे से मुक्त कराने के लिए पीड़ित दर दर की ठोकर खाकर हार मान चुका है और सरकार से इच्छा मृत्यु की मांग कर रहा है।