इस जैल में फैला HIV, नाइजीरियन समेत 54 बंदी संक्रमित, एक महिला भी शामिल

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 हल्द्वानी :  जेल प्रशासन की सजगता से एचआइवी संक्रमितों का पता चला है। पिछले एक साल में इंजेक्शन का नशा और फिर अपराध कर जेल पहुंचे नाइजीरियन समेत 40 बंदियों में एचआइवी की पुष्टि हुई है। पहले इनकी संख्या 14 थी। संक्रमित बंदियों के स्वास्थ्य का विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

कुमाऊं की सबसे अधिक कैदियों व बंदियों वाली हल्द्वानी जेल में 1629 पुरुष व 70 महिलाएं कैद हैं। जेल प्रशासन के अनुसार, जेल में बंदियों के पहुंचते ही संदिग्ध होने पर एचआइवी की जांच कराई जाती है।

 

  • नाइजीरियन समेत 54 बंदी संक्रमित

बैरक में बंद 58 बंदी संक्रमित थे, जिसमें चार जमानत पर कुछ दिन पहले ही बाहर आ चुके हैं। धोखाधड़ी के मामले में बंद एक नाइजीरियन समेत 54 बंदी संक्रमित हैं। इनके साथ अन्य बंदियों की तरह बर्ताव किया जाता है।

बंदी साथ में बैठकर भोजन करते हैं। एक साल में संक्रमितों की संख्या बढ़ने का कारण एचआइवी की जांच में तेजी आना है। इससे पहले जांच नहीं होने से इस बीमारी का पता नहीं चलता था और एचआइवी के फैलने का खतरा अधिक रहता था।

संक्रमित बंदियों का डा. सुशीला तिवारी अस्पताल के एंट्री रिट्रोवायरल ट्रीटमेंट (एआरटी) सेंटर से इलाज चल रहा है। जेल का मेडिकल स्टाफ इन्हें नियमित दवा खिला रहा है। जेल अधिकारियों के अनुसार जेल के अंदर कोई संक्रमित नहीं हुआ। जो बंदी इंजेक्शन का नशा लगाता था, वही एचआइवी पाजीटिव निकले हैं।

 

 

  • बैरक नंबर छह में रखे हैं संक्रमित बंदी

जेल की बैरक नंबर छह में एचआइवी संक्रमितों को रखा गया है। संक्रमितों में एक महिला भी शामिल है, जो अन्य महिला बंदियों के साथ रह रही है।  जेल में एचआइवी संक्रमित के मिलने का यह पहला मामला नहीं है।

 

 

  • जेल के फार्मासिस्ट उदय प्रताप सिंह ने बताया कि रोजाना संदिग्धों की एचआइवी जांच के लिए सैंपल भेजे जाते हैं। साथ ही नाको को इसकी रिपोर्ट जाती है, जिसे वेबसाइट पर अपलोड किया जाता है। उन्होंने बताया कि बंदियों को एक बैरक में रखने का उद्देश्य उनके लिए अलग व्यवहार करना नहीं है।

 

  • निगरानी नहीं होने से बढ़ रहा खतरा

जे ल प्रशासन की मानें तो संक्रमित बंदी जमानत पर छूट जाते हैं। छूटने पर उन्हें इलाज के दस्तावेज व दवाएं बताई जाती हैं, ताकि वह समय-समय पर उसे लेते रहें, लेकिन इस मामले में काम करने वाली एनजीओ निगरानी नहीं कर पाती। जेल से बाहर जाकर वह फिर नशे के लिए इंजेक्शन लगाता है। उसी इंजेक्शन को दूसरे लोग लगाते हैं तो एचआइवी फैलता है।

जेल में आने वाले बंदियों के संदिग्ध होने पर एचआइवी जांच कराई जाती है। जांच में तेजी आने पर संक्रमितों का पता चला है। इन बंदियों के खानपान का विशेष ध्यान दिया जा रहा है। सभी बंदी स्वस्थ हैं।

 प्रमोद कुमार पांडे, जेल अधीक्षक

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