हल्द्वानी हिंसा की साजिश को कर दिया बेनकाब,जानिए क्यों चर्चा में है डीएम वंदना सिंह चौहान

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उत्तराखंड में नैनीताल की डीएम वंदना सिंह चौहान इस समय देश भर में चर्चा में आ गई हैं। हल्द्वानी में भड़की हिंसा के बाद प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे। हल्द्वानी डीएम वंदना सिंह भी मौके पर पहुंची। उन्होंने इस घटना के तमाम पहलुओं को विस्तार से सामने रखे हैं। उन्होंने साफ किया कि उपद्रवियों ने प्रशासन की टीम को निशाना बनाया। ये लोग प्रशासनिक अधिकारियों को जलाकर मारना चाहते थे। वंदना सिंह ने स्पष्ट तौर पर कहा कि यह हमला कानून व्यवस्था की स्थिति पर हमला है। 2012 बैच की आईएएस वंदना सिंह को उत्तराखंड के तेज- तर्रार प्रशासनिक अधिकारी में माना जाता है। उन्होंने जिस सधे अंदाज और साफगोई के साथ हल्द्वानी हिंसा की पूरी वारदात को रखा है, वह चर्चा में आ गई हैं।

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कौन हैं वंदना सिंह चौहान?

वंदना सिंह चौहान उत्तराखंड कैडर की 2012 बैच की आईएएस अधिकारी हैं। वह हरियाणा के नसरुल्लागढ़ गांव की रहने वाली हैं। हरियाणा में लड़कियों की शिक्षा को लेकर जिस प्रकार का माहौल था, उसका सामना वंदना को भी करना पड़ा। उनके गांव में कोई स्कूल नहीं था। हालांकि, उनके पिता शिक्षा को लेकर जागरूक थे। वंदना के भाइयों को पढ़ाई के लिए विदेश भेजा गया। वंदना को इससे पढ़ाई के प्रति रुझान बढ़ा। उन्होंने माता- पिता के सामने पढ़ाई की डिमांड रखी। किसी बेहतर स्थान पर पढ़ाई कराने की मांग कर दी। माता- पिता बेटी को पढ़ाने को तैयार थे।

वंदना सिंह ने मुरादाबाद गुरुकुल में वंदना के लिए आवेदन किया। वहां दाखिला मिल गया। हायर एजुकेशन के लिए वंदना को घर से दूर भेजने को लेकर रिश्तेदारों ने आपत्ति जता दी। उनके माता- पिता को भारी विरोध का सामना करना पड़ा। लेकिन, न वंदना मानीं और न माता- पिता पीछे हटे।

12वीं के बाद ही शुरू की तैयारी

वंदना सिंह ने शुरुआती दिनों से ही आईएएस अधिकारी बनने की ठान ली थी। उन्होंने 12वीं के बाद ही इसकी तैयारी शुरू कर दी। दिन में 12 से 14 घंटे तक पढ़ाई शुरू कर दी। वंदना सिंह ने कन्या गुरुकुल भिवानी से संस्कृत ऑनर्स किया और फिर बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा से एलएलबी की पढ़ाई की। हालांकि, परिवार का पूरा समर्थन न मिल पाने के कारण उन्हें कोर्स वर्क ऑनलाइन करना पड़ा। हालांकि, उनके भाई ने हमेशा समर्थन दिया। इस कारण उन्होंने पढ़ाई को आगे जारी रखा।

बिना कोचिंग पहले अटेंप्ट में आठवां रैंक

वंदना सिंह को परिवार के लोगों को समर्थन नहीं मिल रहा था। इसके बाद भी वे अपने सपने को पूरा करने में लगी रही। अपने स्तर पर यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। वंदना सिंह ने तैयारी के लिए कोई कोचिंग नहीं ली। अपने स्तर पर तैयारी शुरू की। कॉन्सेप्ट को समझना शुरू किया। इसके बाद वह 2012 के यूपीएससी परीक्षा में किस्मत आजमाई। महज 24 साल की आयु में वंदना ने पहले ही प्रयास में आठवीं रैंक हासिल कर ली। इस प्रकार आईएएस अफसर बनने का सपना पूरा किया।

मिला उत्तराखंड कैडर

आईएएस वंदना सिंह चौहान को उत्तराखंड कैडर मिला। पिथौरागढ़ की मुख्य विकास अधिकारी के तौर पर उनकी नियुक्ति हुई। वर्ष 2017 में वे जिले की पहली महिला सीडीओ बनी। वर्ष 2020 तक उनकी तैनाती पिथौरागढ़ में रही। इस दौरान उन्होंने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की ब्रांड एंबेसडर भी रहीं। वर्ष 2020 में उन्हें पहली बार रुद्रप्रयाग का डीएम बनाया गया। कुछ ही दिनों के बाद उन्हें शासन के कार्मिक विभाग में अटैच किया गया। इसके बाद 12 नवंबर को 2020 को वंदना सिंह को केएमवीएन का एमडी बनाया गया।इस पद पर नियुक्ति न लेने के बाद उन्हें रूरल डेवलपमेंट डिपार्टमेंट में अपर सचिव बनाया गया। वर्ष 2021 में उन्हें अल्मोड़ा का जिलाधिकारी बनाया गया था। 17 मई 2023 को नैनीताल की 48वीं डीएम के पद पर तैनाती के बाद वे इस पद पर बनी हुई है।

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