होली पर्व पर रासायनिक रंगों का प्रयोग पड़ सकता है भारी :-डॉ राजे सिंह नेगी
रंगो के त्यौहार होली पर्व की मस्ती रासायनिक रंगों के प्रयोग के चलते कहीं भारी न पड़ जाए होली पर शरीर के सबसे नाजुक अंगों के लिए। यह कहना है समाजसेवी डॉ राजे सिंह नेगी का। होली में प्रयोग किए जा रहे रंगों से होने वाले नुकसान एवं बचाव की जानकारी देते हुए श्री साईं आई केयर सेंटर के संचालक डॉ राजे सिंह नेगी ने बताया कि आमतौर पर बाजारों में उपलब्ध रंग रासायनिक पदार्थों कांच, क्रोमियम आयोडाइड, लेड ऑक्साइड, कॉपर सल्फेट, एल्युमिनियम ब्रोमाइड युक्त पदार्थों से बने होते हैं जिनका असर सीधे तौर पर हमारे सांस (अस्थमा), त्वचा, आंख, बाल एवं किडनी पर पड़ता है। इसके अलावा पिचकारी एवं गुब्बारों का प्रयोग कम से कम करना चाहिए अभिवाहक बच्चों को समझाएं कि राह चलते व्यक्तियों एवं गाड़ियों पर गुब्बारे ना फेंके यह दुर्घटना एवं आपसी झगड़े का कारण बन सकता है। पानी का प्रयोग कम से कम करें क्योंकि कहा जाता है की जल संचय तो जीवन संचय। डॉ नेगी ने बताया कि होली में इस्तेमाल किए गए रंगों से त्वचा में इरिटेट डर्मेटाइटिस एवं टॉक्सिक इरेक्शन ऑफ स्किन की बीमारी हो सकती है जिससे कि आपकी त्वचा सफेद, लाल या काली पड सकती हैं, सिल्वर पेंट से विशेष बचाव करें क्योंकि इसके इस्तेमाल से ऐसीफेस नाम की बीमारी होने का डर रहता है जो कभी ठीक नहीं हो पाती आंखों पर रंग जाने पर आंखों को तुरंत साफ पानी से धोलें जिससे कि आपकी आंख की पुतली पर कोई घाव ना बन पाए क्योंकि आंखों का यह घाव आंखों की अंधता का भी कारण बन सकता है। डॉ नेगी ने कहा कि होली खेलने से पहले अपनी त्वचा एवं बालों में नारियल, सरसों का तेल या कोल्ड क्रीम लगा ले इससे होली का रंग आपकी त्वचा पर अपना असर नहीं छोड़ेगा। सिर पर टोपी लगाए जिससे आपके बाल रंगों के दुष्प्रभाव से बच सकें कोई रंग लगाने आए तो अपनी आंखें बंद रखें या फिर आंखों में चश्मा पहने जिससे खतरनाक रंगों के रसायन से आपकी आंखें बच सके। पर्यावरण संरक्षण की अपील करते हुए घरों में प्राकृतिक रंग बनाने की जानकारी देते हुए डॉ नेगी ने बताया कि गेंदे के फूलों को सुखाकर और फिर उनको उबालकर पीला रंग, चुकंदर से लाल रंग, पालक व करी पत्ते से हरा रंग, हल्दी एवं चंदन से पीला रंग बनाकर होली खेली जा सकती है।