रिपोर्ट – खलील मलिक
उत्तर प्रदेश के जनपद संभल से एक अनोखी खबर सामने आ रही है| जोकि आस्था की प्रतीक समाधि पर नमन करते हुए समाधि पर मिट्टी चढ़ाने की प्रक्रिया चली आ रही है| जिसको चढ़ाने के लिए पूरे वर्ष दुल्हन को इंतजार करना पड़ता है तब शामिल होती है| क्या हाल गोत्र में और उसको इस आस्था के साथ अपने पति के साथ शामिल होकर समाधि पर मिट्टी चढ़ाती है|
बता दें कि तस्वीर आप जो देख रहे हैं| यह उत्तर प्रदेश जनपद संभल महमूदपुर कुंज गांव में स्थित एक ही स्थान पर संत जोगा विवाहिता यहां कर समाधि पर मिट्टी चलाती हैं| देश के जाट समाज के 4 गोत्र की किसानों की परंपरा काफी वर्षों से चली आ रही है| चाहल गोत्र के लड़के की जब शादी होती है| तो उसकी पत्नी को चाहल समाज में शामिल होने के लिए काफी इंतजार करना पड़ जाता है| परंपरा है कि चहल गोत्र के गुरु संत चौक के बलिदान दिवस के रुप में मनाया जाता है| ना विवाहिता उन कपड़ों को पहनकर समाधि पर पहुंची है| जो उसने शादी के पहले दिन पहने थे और वहां जाकर समाधि पर मिट्टी चलाती है| उसके बाद उसको गोत्र चाल में शामिल होती है| इस बीच अपनी मन्नत भी मांगी है क्या करूं उसके बेटा होगा अगले वर्ष तेरी मिट्टी चलाएगी|देश के हर हिस्से से चहल समाज की जो बेटी विदा हो गई हो या जो बहू नवविवाहिता हो वह यहां आकर आस्था की प्रतीक अपना मन्नत बाबा की समाधि पर मिट्टी चढ़ाते हैं|
बुजुर्गों का कहना है कि सिख समाज के दसवें गुरु सिख समाज के दसवें गुरु को बाद सह की संत जोगा से जाट समाज के जोगा गोत्र के थे | गुरु को वध सहने संत जो गाय को अपना सेनापति बनाया था| वह गुरु को वद से अन्य सिखों के बता दे कि गुरू को वह सेना धर्म और देश की रक्षा के लिए प्रत्येक परिवार के युवा मांगा था| तो वह संत जोगा को उनके पिता ने देश सेवा के लिए गुरु को वद के मांग लिया था संजोग से महान योद्धा और बड़े संत जाट समाज के क्या हाल गोत्र के लोगों ने उनकी पूजा करनी शुरू कर दी|
इसी प्रक्रिया में संभल महमूदपुर कुंज इलाके में उनका एक समाधि बनी है| जहां पर नवविवाहिता उसका पति मिलकर समाधि पर जाकर अपनी मन्नत मांगता है और मिट्टी चढ़ाता है| मेहमूदपुर कुंज स्थान समाधि पर आकर देश के जगह-जगह से यहां पर आते हैं| इसके अलावा पंजाब हरियाणा दिल्ली राजस्थान उत्तराखंड समेत कई राज्यों की नवविवाहिता ने समाधि पर आकर मिट्टी चढ़ाई और उन्होंने नमन किया|