राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उत्तराखंड द्वारा मोटे अनाज, पर्यावरण और जीवनशैली पर कार्यशाला का आयोजन
स्वस्थ जीवनशैली के लिए मोटे अनाज का महत्व
आज की बदलती जीवनशैली और खान-पान की आदतें विभिन्न गैर-संचारी रोगों (NCDs) जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप और हृदय रोगों के बढ़ते मामलों का कारण बन रही हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) उत्तराखंड की ओर से 10 फरवरी 2025 को उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय, हर्रावाला, देहरादून में मोटे अनाज, पर्यावरण और जीवनशैली के प्रभाव पर एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यशाला की अध्यक्षता राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मिशन निदेशक स्वाति एस. भदौरिया ने की, जिन्होंने मोटे अनाजों के पोषक तत्वों और स्वास्थ्य लाभों पर जोर देते हुए कहा:
“मोटे अनाज पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं, जो न केवल शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं बल्कि हृदय रोग, मधुमेह और अन्य जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों के जोखिम को भी कम करते हैं।”
कार्यशाला में विशेषज्ञों की भागीदारी
मुख्य अतिथि: डॉ. भूपेंद्र कौर औलख (कंट्री हेड, WHO)
- डॉ. औलख ने मोटे अनाजों को दैनिक आहार में शामिल करने और जीवनशैली में सुधार करने पर जोर दिया।
- उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) और राष्ट्रीय आयुष मिशन (NAM) के सहयोग से ही बड़े पैमाने पर स्वास्थ्य सुधार संभव है।
प्रमुख वक्ता: पद्मश्री डॉ. खादर वली (‘मिलेट मैन ऑफ इंडिया’)
- डॉ. खादर वली, जो भारत में मोटे अनाजों (मिलेट्स) के पुनरुत्थान के लिए प्रसिद्ध हैं, को इस कार्यशाला में विशेष वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया।
- उन्होंने स्वस्थ जीवनशैली, मोटे अनाजों के उपयोग और उनके स्वास्थ्य लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाई।
- उन्होंने कहा कि सरल भोजन और साधारण जीवनशैली अपनाकर गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है।
मोटे अनाज के स्वास्थ्य लाभ
🔹 हृदय रोग और मधुमेह से बचाव: मिलेट्स में फाइबर की उच्च मात्रा होती है, जो रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मदद करता है।
🔹 पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है: इनमें प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट और फाइबर होते हैं, जो आंतों के स्वास्थ्य को बनाए रखते हैं।
🔹 वजन घटाने में सहायक: मोटे अनाज लंबे समय तक पेट भरा रखते हैं, जिससे ओवरईटिंग (अत्यधिक भोजन करने) की आदत पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
🔹 मजबूत हड्डियों के लिए फायदेमंद: इनमें कैल्शियम, मैग्नीशियम और फास्फोरस जैसे खनिज तत्व पाए जाते हैं, जो हड्डियों को मजबूत बनाते हैं।
🔹 पर्यावरण के लिए अनुकूल: मोटे अनाजों की खेती कम पानी और कम उर्वरकों की जरूरत होती है, जिससे यह पर्यावरण संरक्षण में भी सहायक है।
कार्यशाला में शामिल प्रमुख अधिकारी एवं प्रतिभागी
- श्रीमती उषा वली (अपर सचिव)
- डॉ. विजय कुमार जोग डाडे (निदेशक, आयुर्वेद)
- डॉ. अरुण कुमार त्रिपाठी (कुलपति, उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय)
- डॉ. फरीदुज्जफर (सहायक निदेशक, NHM उत्तराखंड)
- राष्ट्रीय आयुष मिशन (NAM) और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के अधिकारी
- सीएचओ (CHOs) और एएनएम (ANMs)
- आयुर्वेद विश्वविद्यालय के विद्यार्थी
भविष्य की योजना और निष्कर्ष
इस कार्यशाला के माध्यम से लोगों को मोटे अनाजों को अपनी दिनचर्या में शामिल करने और एक संतुलित जीवनशैली अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
👉 राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और राष्ट्रीय आयुष मिशन के संयुक्त प्रयासों से राज्य में बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।
👉 सरकार स्कूलों, अस्पतालों और पंचायत स्तर पर मिलेट्स को बढ़ावा देने की दिशा में काम करेगी।
मोटे अनाजों को अपने आहार में शामिल करें, स्वस्थ रहें और जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों से बचें! 🍲🌾