पिता के ऊपर एक मर्मस्पर्शी कविता…….”पिता, क्या लिखूं तुम्हारे लिए”पिता
क्या लिखूँ तुम्हारे लिए,
कभी जो समझ ना आये,
आया बस इतना ही समझ,
करते रहे समझौते,
हमारे लिए,
अपनी ख़ुशियों का,
अपनी इच्छाओं का,
करते…
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