देहरादून के झीवरेडी पुल के पास शिमला बायपास रोड पर वीरेश जैन द्वारा अवैध रूप से वेयरहाउस (गोडाउन) का निर्माण किए जाने का बड़ा मामला सामने आया है। हाल ही में सूचना का अधिकार (RTI) के तहत प्राप्त जानकारी में इस अवैध निर्माण की पुष्टि हुई है। यह मामला न केवल महायोजना के उल्लंघन को उजागर करता है, बल्कि इसमें एमडीडीए (मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण) के अधिकारियों की भूमिका और प्रक्रियाओं पर भी सवाल खड़े करता है।
RTI में क्या हुआ खुलासा?
- आवासीय क्षेत्र में व्यावसायिक निर्माण:
- जिस स्थल पर निर्माण किया गया है, वह महायोजना में आवासीय उपयोग के लिए निर्धारित है।
- नक्शा व्यावसायिक प्रतिष्ठान के लिए स्वीकृत कर दिया गया, जबकि भू उपयोग परिवर्तन की प्रक्रिया को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया।
- अवैध नक्शा पास:
- भू उपयोग परिवर्तन के बिना नक्शा पास किया गया, जो स्पष्ट रूप से कानूनी उल्लंघन है।
- इसके अलावा, नक्शा पास करते समय वन विभाग और सिंचाई विभाग से आवश्यक NOC भी नहीं ली गई।
- पर्यावरणीय और भू-संरचनात्मक खतरे:
- वेयरहाउस के पास से एक नदी प्रवाहित होती है, जिसके लिए सिंचाई विभाग की अनुमति आवश्यक थी, लेकिन उसे भी नजरअंदाज कर दिया गया।
- गलत प्रकरण बोर्ड में प्रस्तुत किया गया:
- नक्शा पास करने में हुई अनियमितताओं को छिपाने के लिए मामला दो बार बोर्ड में पेश किया गया, लेकिन दोनों बार बोर्ड ने इसे निरस्त कर दिया।
- फाइल से गायब रिपोर्ट:
- RTI के तहत मांगी गई फाइल में जांच रिपोर्ट गायब थी। यह दर्शाता है कि एमडीडीए द्वारा मामले की गंभीरता को दबाने की कोशिश की गई।
MDDA की भूमिका पर सवाल
एमडीडीए पर लंबे समय से गलत नक्शे पास करने और अपने अधिकारियों को बचाने के आरोप लगते रहे हैं।
- पूर्व के मामले:
- इस मामले से पहले भी Serene Green परियोजना से जुड़ा एक मामला सामने आया था, जो अब तक लंबित है।
- MDDA द्वारा गलत नक्शा पास कर अवैध निर्माण को बढ़ावा देने के कई उदाहरण पूर्व में देखे गए हैं।
- कार्रवाई की कमी:
- दोनों बार प्रकरण निरस्त होने के बावजूद, नक्शा पास करने वाले अधिकारियों और अवैध निर्माण के खिलाफ अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
कानूनी और पर्यावरणीय उल्लंघन
- भू उपयोग परिवर्तन:
- किसी भी आवासीय भूमि को व्यावसायिक उपयोग में बदलने के लिए भू उपयोग परिवर्तन आवश्यक है, लेकिन इस प्रक्रिया को जानबूझकर नजरअंदाज किया गया।
- वन और सिंचाई विभाग की अनुमति:
- वेयरहाउस निर्माण स्थल वन विभाग और सिंचाई विभाग के अधीन संभावित क्षेत्रों में आता है।
- इन विभागों से अनुमति (NOC) लिए बिना निर्माण किया गया।
- महायोजना का उल्लंघन:
- निर्माण महायोजना 2025 के अंतर्गत तय नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है।
- पर्यावरणीय जोखिम:
- वेयरहाउस नदी के पास स्थित है, जिससे भविष्य में जल प्रवाह बाधित हो सकता है और बाढ़ या अन्य पर्यावरणीय नुकसान की संभावना बढ़ सकती है।
स्थानीय जनता और प्रशासन की प्रतिक्रिया
- जनता का आक्रोश:
- स्थानीय निवासियों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने इस अवैध निर्माण पर नाराजगी व्यक्त की है।
- वे एमडीडीए और संबंधित अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
- प्रशासन की निष्क्रियता:
- अब तक प्रशासन ने न तो नक्शा पास करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कोई कदम उठाया है और न ही अवैध निर्माण को रोकने की पहल की है।
आवश्यक कार्रवाई
- जांच और जिम्मेदारी तय करना:
- नक्शा पास करने में शामिल अधिकारियों और भू-माफियाओं के खिलाफ जांच कर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
- अवैध निर्माण रोकना:
- वेयरहाउस निर्माण को तुरंत रोका जाए और संरचना को ध्वस्त किया जाए।
- पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन:
- नदी और वन क्षेत्र पर निर्माण के प्रभाव का आकलन कर पर्यावरण संरक्षण सुनिश्चित किया जाए।
- पारदर्शिता लाना:
- एमडीडीए की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता लाने के लिए सख्त कदम उठाए जाने चाहिए।
RTI के तहत खुलासा हुआ यह मामला एमडीडीए की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। आवासीय क्षेत्र में अवैध वेयरहाउस निर्माण न केवल कानूनी, बल्कि पर्यावरणीय दृष्टि से भी बड़ा खतरा है। प्रशासन की निष्क्रियता और भ्रष्टाचार के कारण ऐसी घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। जनता और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए इस पर तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए। एमडीडीए और अन्य संबंधित विभागों को जिम्मेदारी लेकर दोषियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है।