उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जनपद में मानसून के शुरू होने के साथ ही शारदा नदी के किनारों पर बसे तटीय गांवों के लोग डर के साये में जीने को मजबूर हो जाते हैं। यहां आपको बता दें कि शारदा नदी करीब सन 1990 से भू कटान करती चली आ रही है। इस नदी ने पीलीभीत जनपद के ट्रांस शारदा क्षेत्र के दर्जनों गांवों के साथ साथ हजारों एकड़ कृषि योग्य भूमि को अपनी आगोश में ले लिया है। लेकिन शारदा नदी के कटान को रोकने के लिए कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किए गये हैं।
चंदिया हजारा समेत ट्रांस शारदा क्षेत्र की लगभग दो लाख की आबादी लगभग तीस सालों से बर्बादी का दंश झेलती आ रही है। आखिर इन हालातों का जिम्मेदार कौन है। इसके जिम्मेदार पीलीभीत जनपद के माननीय नेताओं के साथ साथ बाढ़ खंड विभाग ने भी अहम भूमिका निभाई है।
क्योंकि फ्लड फाइटिंग के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च कर सिर्फ और सिर्फ खानापूर्ति की गई है।क्योंकि हर चुनाव में नेता लोगों से तटबंध बनाने के नाम पर वोट हासिल कर जीत जाने के बाद नौ दो ग्यारह हो जाते रहे। इस दौरान कई सरकारें आई और कई सरकारें गई। पर किसी सरकार ने इस समस्या का स्थाई समाधान नहीं किया।हर साल की तरह इस साल भी शारदा नदी ने अपना कहर बरपाना शुरू कर दिया है। चंदिया हजारा गांव की उत्तर दिशा की ओर से गन्ने के खेतों को अपनी आगोश में लेती हुई शारदा नदी गांव की तरफ बढ़ रही है। जिससे ग्रामीणों में दहशत का माहौल बना हुआ है।
इस वर्ष लगभग दर्जनों किसानों की कृषि योग्य भूमि फसल समेत नदी में समा चुकी है।नदी कटान को लेकर चंदिया हजारा के ग्राम प्रधान वासुदेव कुंडू ने हमें जानकारी देते हुए बताया कि शारदा नदी किसानों की कृषि योग्य भूमि को अपनी आगोश में लेती हुई गांव की तरफ बढ़ रही है। जिससे ग्रामीणों में भय का माहौल बना हुआ है। राहत बचाव कार्य होने के बारे में बताया कि जो तीन दिन पहले कार्य किया गया था वह पानी में बह गया है। इस बर्बादी को रोकने के लिए कुछ दिनों पहले मैंने पीलीभीत जिलाधिकारी को पत्र देकर शारदा नदी के कटान से क्षेत्र को बचाने के लिए परकोपाइन, तिगुड़िया लगाने की मांग की थी। इस समय भी शारदा नदी किसानों की कृषि योग्य भूमि को अपनी आगोश में ले रही है। अगर स्थाई समाधान नहीं किया गया तो गांव की आबादी भी नदी की जद में आ जायेगी।