दवा नहीं मौत: अवैध फैक्टरी से मल्टी विटामिन सिरप खरीद रहे थे 12 थोक विक्रेता, जांच में हुआ बड़ा खुलासा

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आगरा के थाना सिकंदरा के नगला चुचैना में पकड़ी गई मल्टी विटामिन सिरप की अवैध फैक्टरी में लोगों की जान से खिलवाड़ हो रहा था। दवा की जगह खाद्य लाइसेंस लिया गया था। शहर के 12 थोक विक्रेताओं को सप्लाई होती थी। पशुओं के बाड़े के आगे चल रही फैक्टरी में साफ-सफाई का इंतजाम नहीं था। गुणवत्ता जांच के लिए विशेषज्ञ नहीं थे। कंपनियों के फर्जी रैपर लगाए जा रहे थे। मामले में पुलिस ने केस दर्ज कर आरोपी संचालक मनीष गुप्ता को जेल भेज दिया। पुलिस को स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट का इंतजार है।

यहां मारा था छापा 

सिकंदरा पुलिस ने बुधवार को औद्योगिक क्षेत्र स्थित नगला चुचैना में अवैध दवा फैक्टरी पर छापा मारा था। फैक्टरी एत्मादपुर निवासी मनीष गुप्ता की थी। वह पश्चिमपुरी में किराये पर परिवार सहित रहता है। फैक्टरी में 30 पेटी मल्टी विटामिन और फूड सप्लीमेंट के सिरप मिले थे। चार पेटी में एनर्जी और भूख बढ़ाने के सिरप थे। बोरियों में चीनी-बूरा रखा था। एक्सपायर्ड दवाएं और नामी कंपनी के फर्जी रैपर थे। सिरप तैयार करने का सामान और उपकरण भी थे।

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फैक्टरी  पर लगाया ताला 

जांच के बाद फैक्टरी पर ताला लगाया गया। प्रभारी निरीक्षक आनंद कुमार शाही ने बताया कि संचालक मनीष गुप्ता ने फूड का लाइसेंस दिखाया, जबकि एनर्जी और भूख बढ़ाने के सिरप मिले थे। इनके लिए अलग से लाइसेंस लेना आवश्यक है। वह फूड लाइसेंस के भी मानक का उल्लंघन कर रहा था। एक्सपायर्ड दवाओं के साथ 13 डिब्बों में बिना सील किए विभिन्न प्रकार के विटामिन पाउडर मिले। डिब्बों पर टैग भी नहीं था। नामी कंपनियों के रैपर सिरप पर लगाए जा रहे थे। साफ-सफाई का भी इंतजाम नहीं था।

दर्ज हुआ मुकदमा 

रैपर को स्थानीय बाजार में तैयार कराता था। चौकी प्रभारी शास्त्रीपुरम एसआई राहुल कटियार ने केस दर्ज कराया। धोखाधड़ी, कूटरचित दस्तावेज तैयार सहित अन्य धाराएं लगीं। आरोपी को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया।

थोक विक्रेताओं की तलाश

पुलिस को आरोपी मनीष गुप्ता ने थोक विक्रेताओं के नाम बताए हैं। विक्रेता संचालक को ऑर्डर देते थे। उसके हिसाब से वो माल तैयार करके देता था। पुलिस विक्रेताओं से पता करेगी कि वो किस आधार पर उससे माल खरीद रहे थे। वह फर्जी बिल देता था या फिर बिना बिल के सिरप ले रहे थे। एक सिरप 50 रुपये तक में तैयार हो जाती थी। इसके बाद उसे 120 से 150 रुपये में बेचा जाता था।

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