वीएन न्यूज़ रोशनाबाद– निरंजनी अखाड़ा के महामंडलेश्वर महंत भारत माता मंदिर स्वामी ललितानंद गिरि ने कहा कि उत्तराखंड से हटाई जा रहे धार्मिक स्थलों का स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा प्राचीन धार्मिक स्थलों के साथ सरकार या प्रशासन सोच समझकर छेड़छाड़ करें। उन्होंने कहा कि जब हमारा संविधान,वन विभाग नहीं बने थे तब से उनके प्राचीन धर्म स्थल वहां पर हैं। इस बात का सरकार को ध्यान रखना चाहिए।
जिन लोगों ने नाजायज रूप से जमीन पर कब्जे किए हैं। उनको हठाना चाहिए। लेकिन जो उनके प्राचीन धार्मिक स्थल है उनका ध्यान रखा जाए उन धार्मिक स्थलों पर किसी भी तरह से छेड़छाड़ ना की जाए। उन्होंने कहा कि किसी के साथ भेदभाव और अन्याय न हो इसका भी विशेष ध्यान रखा जाए देश और राज्य हित में कार्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि कुछ कार्य अच्छे हो रहे हैं। जिसमें वह सीएम की तारीफ करते हैं उनका समर्थन करते हैं।
उन्होंने मांग पत्र में कहा की उत्तरदायी तय करने की व्यवस्था न होने के कारण सरकार के प्रयासों के बाद भी सरकारी भूमि पर अतिक्रमण कर अवैध रूप से घुसपैठियों की बस्ती बनती जा रही है। जिससे इस संवेदनशील प्रदेश में जनसांख्यिकीय परिवर्तन बहुत तेजी से हो रहा है। सोमवार को निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर और देव भूमि रक्षा मंच के अध्यक्ष स्वामी ललितानंद गिरी ने मुख्यमंत्री के नाम छह सूत्रीय मांग पत्र उपजिलाधिकारी पूरन सिंह राणा को सौंपा है। महामंडलेश्वर ने कहा कि सरकारी भूमि से धार्मिक तथा आवासीय अतिक्रमण हटाकर पुनः अतिक्रमण न हो और धर्मांतरण के प्रति उत्तरदायी व्यवस्था बनाई जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि मानव तस्करी रोकने के लिए भी सरकार को रोमियो स्क्वायड गठित करने और सत्यापन करने के लिए भी बड़े स्तर पर व्यवस्था करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि नशा तस्करी रोकने के लिए समाज की सहभागिता के साथ सुरक्षा एजेंसियों का दायरा बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि राज्य में नाम व पहचान बदलकर व्यवसाय करने वाले लोगों का चिन्हीकरण कर इस पर कठोर कानून बनाया जाए। कहां की देवभूमि रक्षा मंच की मांग पर गंभीरता से कार्रवाई होनी चाहिए। उधर उपजिलाधिकारी पूरन सिंह राणा ने कहा कि भूमि रक्षा मंच से छह सूत्रीय मांग पत्र मुख्यमंत्री के नाम मिला है। उसमें जितनी भी मांगे हैं। उनको मुख्यमंत्री को पहुंचाया जाएगा।