रिपोर्ट अजय ठाकुर
कान्हा की नगरी मथुरा से 21 किलो मीटर दूर कान्हा प्रिय राधा रानी की ननिहाल गांव मुखराई है| जहां होली के पर्व के उपरांत दौज तिथि को चरकुला नृत्य का भव्य आयोजन किया जाता है| इसी के चलते गुरुवार की देर रात गांव मुखराई की महिलाओ ने परम्परागत पोशाक धारण कर 51 किलो बजनी चरकुला पंर सैकङो की संख्या में डीप जला कर नृत्य किया| चरकुला नृत्य के आयोजन का शुभारंभ जिलाधिकारी मथुरा पुलकित खरे ने मदन मोहन जी मंदिर से चरकुला में दीप प्रज्वलित किए। इसके उपरांत नृत्य करती हुई महिला चरकुला ग्राउंड पहुंची। जहां नगाड़े की मधुर संगीत के साथ स्थानीय लोगो ने जुग जुग जीओ गोरी नाचन हारी, आदि रसिया के गायन पर महिलाओं ने नृत्य की अद्भुत प्रस्तुति दी ।
मान्यता के अनुसार गांव मुखराई श्रीराधारानी की ननिहाल है| श्रीराधारानी की नानी मुखरा देवी के नाम पर पडे़ गांव के नाम के पीछे मान्यता है कि धेवती के जन्म की खुशी में मुखरा देवी ने रथ के पहिए पर दीपक जलाए और नृत्य किया था| उसी परंपरा के अंतर्गत होली के बाद चैत्रवदी दूज को गांव मुखराई में ब्राह्मण परिवार की महिलाएं अपने सिर पर सवा मन बजन के चक्र रूपी चरकुला में जलते 108 को सिर पर रख नृत्य करती हैं।
बृहस्पतिवार को परंपरानुगत चरकुला नृत्य की प्रस्तुति मुखराई की महिलाओं द्वारा दी गई| ब्रज लोक कला फाउंडेशन के अध्यक्ष दानी ने जानकारी देते हुए बताया कि मुखराई के चरकुला नृत्य का महत्व द्वापरयुगीन राधारानी के जन्म से जुड़ा है| होली के बाद दूज के दिन राधारानी के जन्म की खुशी में नानी मुखरा देवी ने रथ के पहिए पर 108 दीपकों का नृत्य कर रिझाया था| उसी परंपरा को गांव महिला निर्वाहन कर रही हैं|
मंच का संचालन व्रज लोक कला फाउंडेशन के सचिव पंकज खंडेलवाल ने किया| इस दौरान सीओ राम मोहन शर्मा, इंस्पेक्टर नितिन कसाना, राघवेंद्र सिंह, विजेंद्र मुद्गल, भूपेंद्र चौधरी, कौशल, दीना शर्मा, श्याम सुंदर, घनश्याम मास्टर, रवि दुबे, मान पाल चौधरी, देवीराम, छीतरमल आदि उपस्थित थे।