मणिपुर में एक बार फिर से हिंस भड़क उठी है. इसका असर अब वहां की राजनीति पर भी दिखने लगा है. एन. बीरेन सिंह की अगुआई वाली भाजपा सरकार के सामने अब नई चुनौती आ गई है. सहयोगी नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) ने मणिपुर सरकार से समर्थन वापस लेने का ऐलान कर दिया है. NPP सुप्रीमो और मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर समर्थन वापसी का ऐलान किया है. अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि NPP की समर्थन वापसी से एन. बीरेन सिंह सरकार पर क्या असर पड़ेगा.
मणिपुर में आशांति के बीच राजनीतिक कोलाहल भी बढ़ गया है. बीजेपी की सहयोगी NPP के समर्थन वापसी से माहौला गरमा गया है. बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को लिखी चिट्ठी में NPP के अध्यक्ष कॉनराड संगमा ने तत्काल सपोर्ट वापस लेने की बात कही है. एनपीपी ने कहा, ‘मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह की नेतृत्व वाली मणिपुर सरकार राज्य में जातीय हिंसा को कंट्रोल करने और सामान्य स्थिति बहाल करने में नाकाम रही है. मौजूदा स्थिति को ध्यान में रखते हुए NPP ने तत्काल प्रभाव से मणिपुर में एन. बीरेन सिंह की सरकार से अपना समर्थन वापस लेने का फैसला किया है.’
अब सवाल उठता है कि NPP की समर्थन वापसी से क्या मणिपुर में बीजेपी सरकार गिर जाएगी. कॉनराड संगमा की ओर से सपोर्ट वापस लेने का प्रदेश की राजनीति और मौजूदा सरकार पर क्या असर पड़ेगा? मणिपुर विधानसभा में कुल 60 विधायक होते हैं. स्पष्ट बहुमत से सरकार बनाने के लिए 31 विधायकों की जरूरत होती है. साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा के हिस्से में 32 सीटें आई थीं. ऐसे में बीजेपी अपने दम पर सरकार बनाने में सक्षम थी और है. कॉनराड संगमा की पार्टी ने बीजेपी का समर्थन करने की घोषणा की थी. एनपीपी के सात विधायक चुनकर आए हैं. इस तरह NPP के समर्थन वापस लेने से मणिपुर की बीजेपी सरकार की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है.
गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर में सुरक्षा स्थिति की रविवार को समीक्षा की और शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों को राज्य में शांति सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कदम उठाने का निर्देश दिया. अमित शाह ने महाराष्ट्र में अपनी चुनावी रैलियां रद्द करके लौटने के तुरंत बाद यह बैठक की है. सूत्रों ने बताया कि गृह मंत्री ने शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों के साथ मणिपुर में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की और उन्हें शांति सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कदम उठाने का निर्देश दिया. यह कदम ऐसे समय उठाया गया है, जब मणिपुर में महिलाओं और बच्चों के शव बरामद होने के बाद विरोध प्रदर्शन और हिंसा के कारण स्थिति अस्थिर बनी हुई है. मणिपुर पिछले साल मई से ही जातीय संघर्ष से जूझ रहा है