बेंगलुरु : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कर्नाटक के बांदीपुर टाइगर रिजर्व में 20 किलोमीटर की जीप सफारी का आनंद लिया| उन्होंने तमिलनाडु के पहाड़ी जिले नीलगिरी के मुदुमलाई में भी एक हाथी शिविर का दौरा किया| शिविर में हाथियों ने प्रधानमंत्री का स्वागत किया| मोदी ने यहां बाघ अभयारण्य के थेप्पक्कडू शिविर में कुछ हाथियों को गन्ना भी खिलाया|
पीएम थोड़ी देर में ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ के 50 साल पूरे होने के मौके पर मैसूर में देश में बाघों की आबादी को लेकर नवीनतम आंकड़े जारी करेंगे| प्रधानमंत्री ‘अमृत काल’ के दौरान बाघ संरक्षण के लिए सरकार का दृष्टिकोण भी पेश करेंगे| वे इंटरनेशनल बिग कैट्स अलायंस (आईबीसीए) की शुरुआत भी करेंगे| आईबीसीए में ऐसे देश शामिल हैं, जहां ‘बिग कैट्स’ प्रजाति के सात पशु- बाघ, शेर, तेंदुआ, हिम तेंदुआ, पुमा, जगुआर और चीता पाए जाते हैं| यह संगठन इन पशुओं के संरक्षण एवं सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करेगा|
इससे पहले प्रधानमंत्री सुबह चामराजनगर जिले में बांदीपुर बाघ अभयारण्य पहुंचे और संरक्षण गतिविधियों में शामिल क्षेत्र के अग्रिम मोर्चे के कर्मियों और स्वयं सहायता समूहों के साथ बातचीत की| उन्होंने तमिलनाडु की सीमा से लगे चामराजनगर जिले के मुदुमलाई बाघ अभयारण्य में थेप्पाकडू हाथी शिविर का भी दौरा किया और हाथी शिविर के महावतों और ‘कावड़ियों’ से बातचीत की|
प्रधानमंत्री ने बाघ अभयारण्य के क्षेत्र निदेशकों के साथ भी बातचीत की, जिन्होंने हाल में संपन्न प्रबंधन प्रभावशीलता मूल्यांकन अभ्यास के पांचवें चक्र में अत्यधिक नंबर हासिल किया है| जुलाई 2019 में प्रधानमंत्री ने ‘वैश्विक नेताओं के गठबंधन’ का आह्वान किया था और एशिया में अवैध शिकार एवं अवैध वन्यजीव व्यापार पर दृढ़ता से अंकुश लगाने की बात कही थी| प्रधानमंत्री के संदेश को आगे बढ़ाते हुए आईबीसीए की शुरुआत की जा रही है|
मोदी ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ के 50 साल पूरे होने के अवसर पर एक कार्यक्रम का उद्घाटन करेंगे| इस दौरान वे ‘बाघ संरक्षण के लिए अमृत काल का विजन’ प्रकाशनों का विमोचन, बाघ अभयारण्य के प्रबंधन प्रभावी मूल्यांकन के पांचवें चक्र की सारांश रिपोर्ट, बाघों की संख्या की घोषणा तथा अखिल भारतीय बाघ अनुमान (पांचवां चक्र) की सारांश रिपोर्ट जारी करेंगे|
‘प्रोजेक्ट टाइगर’ के 50 वर्ष पूरे होने के मौके पर एक स्मारक सिक्का भी जारी किया जाएगा| ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ के प्रमुख ने कहा कि भारत का लक्ष्य विकास और वन्यजीव संरक्षण के बीच संतुलन बनाए रखते हुए वैज्ञानिक रूप से आंकी गई आवासन क्षमता के आधार पर एक व्यवहार्य बाघ आबादी को बनाए रखना है| अतिरिक्त वन महानिदेशक एस पी यादव ने कहा कि हालांकि, बेहतर तकनीक और सुरक्षा तंत्र के कारण बाघों का शिकार काफी हद तक कम हो गया है, लेकिन यह अब भी उनके लिए सबसे बड़ा खतरा है, इसके अलावा उनके निवास स्थानों में भी कमी आ रही है|