यहाँ आउटसोर्सिंग का बड़ा खेल,कार्यमुक्त JE की पुनः नियुक्ति की सम्भावनाये

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हरिद्वार-रुड़की विकास प्राधिकरण (HRDA) से हाल ही में आउटसोर्सिंग से चार अवर अभियंताओं (जेई) को कार्यमुक्त किया गया। इनकी नियुक्ति पहले आउटसोर्सिंग के माध्यम से तकनीकी सुपरवाइजर के पद पर की गई थी। लेकिन अब, प्राधिकरण के उपाध्यक्ष (वीसी) द्वारा इनकी सेवाएं समाप्त करने का फैसला लिया गया है।

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बड़ी बात: तकनीकी सुपरवाइजर से जेई बनने का सफर

सूत्रों के मुताबिक, इन चार अभियंताओं को पहले तकनीकी सुपरवाइजर के रूप में नियुक्त किया गया था। जब अवर अभियंता (JE) बनने का अवसर आया, तो इन्हीं चार व्यक्तियों को नियुक्त कर दिया गया। इस प्रक्रिया ने न केवल पारदर्शिता पर सवाल खड़े किए बल्कि यह भी पूछा जा रहा है कि क्या पूरे उत्तराखंड में केवल यही चार लोग इन सभी पदों के लिए उपयुक्त हैं।

नियुक्ति की सम्भावनाये: क्या सही है यह कदम?

हालिया घटनाक्रम में चर्चा है कि इन्हें तकनीकी सुपरवाइजर के पद पर पुनः नियुक्त करने की योजना बनाई जा रही है। यह सवाल उठाता है कि क्या बेरोजगार युवाओं के लिए समान अवसर प्रदान किया जा रहा है या नहीं। क्या प्राधिकरण का यह कदम रोजगार के मौलिक सिद्धांतों का उल्लंघन करता है? आउटसोर्सिंग से नियुक्त चार अवर अभियंताओं की कार्यो की जांच कराई जाये तो भ्र्ष्टाचार की कई परते खुलेगी इनमे से एक अवर अभिंयता द्वारा तो अपने रिश्तेदार को ही विभाग में ठेकेदार बना दिया गया एवं नियम विरुद्ध करोड़ो के ठेके दिए गए

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भ्रष्टाचार के आरोप और भूमिका

सूत्रों का दावा है कि ये चार अवर अभियंता प्रतिनियुक्ति पर आए एक भ्रष्ट सहायक अभियंता के करीबी सहयोगी हैं। यह आरोप इस पूरे मामले को और अधिक संदेहास्पद बनाता है। अगर इन आरोपों में सच्चाई है, तो यह ना केवल संस्थान की साख को कमजोर करता है, बल्कि अन्य योग्य उम्मीदवारों के लिए भी अनैतिक उदाहरण पेश करता है।

बड़ा सवाल: पारदर्शिता और अवसरों की समानता

उत्तराखंड जैसे राज्य में, जहां बेरोजगार युवाओं की संख्या बढ़ रही है, हरिद्वार-रुड़की विकास प्राधिकरण के इन फैसलों पर सवाल उठना स्वाभाविक है। क्या वाकई संस्थान की नियुक्तियों में पारदर्शिता है? क्या योग्य उम्मीदवारों को पर्याप्त अवसर मिल रहे हैं, या यह केवल कुछ लोगों तक सीमित रह गया है?

यह मामला केवल प्राधिकरण के भीतर की समस्या नहीं है, बल्कि रोजगार की पारदर्शिता और समान अवसरों से जुड़े बड़े सवाल खड़े करता है। प्राधिकरण को इस मामले में स्पष्टता और निष्पक्षता का परिचय देना होगा, ताकि योग्य उम्मीदवारों का हक सुनिश्चित किया जा सके।

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