‘वन नेशन वन आईडी’:10 लाख से अधिक छात्रों की अपार आईडी तैयार

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देहरादून- उत्तराखंड में नई शिक्षा नीति-2020 के तहत भारत सरकार की ‘वन नेशन वन आईडी’ योजना के तहत 10 लाख से अधिक छात्रों की अपार आईडी (ऑटोमेटिक परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्टर आईडी) बनाई जा चुकी है। इस योजना का उद्देश्य छात्रों के शैक्षिक दस्तावेजों में पारदर्शिता लाना और उनकी शैक्षणिक पहचान को डिजिटल रूप में संगठित करना है।


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उत्तराखंड की स्थिति: देश में आठवां स्थान

प्रदेश के विद्यालयी शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने जानकारी दी कि उत्तराखंड अपार आईडी रैंकिंग में देशभर में आठवें स्थान पर है।

  • अब तक 10,18,225 छात्रों की अपार आईडी बनाई जा चुकी है।
  • प्रदेश के सभी सरकारी और निजी विद्यालयों में कक्षा 1 से 12 तक के सभी छात्रों की आईडी बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

जनपदवार प्रगति

  • अल्मोड़ा: 55,980
  • बागेश्वर: 30,295
  • चमोली: 48,732
  • हरिद्वार: 1,94,129
  • देहरादून: 1,32,765
  • ऊधमसिंह नगर: 1,82,751
  • अन्य जिलों में भी तेजी से कार्य प्रगति पर है।

अपार आईडी का महत्व और उद्देश्य

क्या है अपार आईडी?

  • अपार आईडी (APAR ID) का मतलब है ऑटोमेटिक परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्टर आईडी।
  • यह छात्रों के लिए 12 अंकों की एक यूनिक डिजिटल पहचान होगी।
  • इस आईडी में छात्र का पूरा शैक्षिक रिकॉर्ड, जैसे परीक्षा परिणाम, उपस्थिति, और अन्य जानकारी डिजिटली संरक्षित होगी।

मुख्य उद्देश्य:

  1. शैक्षिक पारदर्शिता:
    छात्रों के शैक्षणिक रिकॉर्ड को सुरक्षित और पारदर्शी बनाना।
  2. भ्रष्टाचार पर रोक:
    फर्जी दस्तावेज़ और गड़बड़ियों की संभावनाओं को खत्म करना।
  3. आसान उपयोग:
    • आईडी का उपयोग सर्टिफिकेट, प्रवेश परीक्षाओं, और भर्ती प्रक्रियाओं में किया जा सकेगा।
    • शैक्षणिक संस्थानों के बीच क्रेडिट ट्रांसफर को सुविधाजनक बनाएगा।
  4. डिजिटल पहचान:
    छात्रों की स्थायी डिजिटल पहचान के रूप में कार्य करेगा।

जनपदों की प्रदर्शन रैंकिंग

प्रदेश में अपार आईडी निर्माण में सबसे आगे रहने वाले जिलों में:

  1. चमोली: 70.43% छात्रों की आईडी तैयार।
  2. बागेश्वर: 67.43%।
  3. पौड़ी: 66.11%।

कम प्रदर्शन वाले जिले:

  • हरिद्वार: 39%।
  • देहरादून: 29.15%।
    इन जिलों में प्रक्रिया तेज करने के निर्देश दिए गए हैं।

नई शिक्षा नीति-2020 का हिस्सा

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‘वन नेशन वन आईडी’ योजना को नई शिक्षा नीति-2020 के तहत लागू किया गया है।

  • इससे छात्रों को शैक्षणिक और व्यावसायिक अवसरों में अधिक सहूलियत मिलेगी।
  • शिक्षा के डिजिटलीकरण की दिशा में यह एक बड़ा कदम है।

डॉ. धन सिंह रावत का बयान

शिक्षा मंत्री ने कहा:

  • “उत्तराखंड में शत-प्रतिशत छात्रों की अपार आईडी बनाने का लक्ष्य है।”
  • “यह आईडी छात्रों के शैक्षणिक विकास के लिए एक क्रांतिकारी पहल है, जिससे भविष्य में फर्जीवाड़े पर रोक लगेगी।”
  • “हमें गर्व है कि उत्तराखंड राष्ट्रीय रैंकिंग में आठवें स्थान पर है और हम इसे शीर्ष स्थान तक ले जाने के लिए प्रयासरत हैं।”

अपार आईडी के लाभ

  1. शैक्षणिक डेटा का डिजिटलीकरण।
  2. भविष्य के उपयोग में सहूलियत:
    • नौकरी आवेदन, उच्च शिक्षा प्रवेश, और सरकारी योजनाओं के लिए उपयोगी।
  3. परिस्थितियों में सुधार:
    • छात्रों के ड्रॉपआउट डेटा का विश्लेषण।
    • शैक्षिक सुधारों में सहायता।

‘वन नेशन वन आईडी’ योजना उत्तराखंड में डिजिटल शिक्षा की दिशा में एक बड़ा कदम है।

  • इससे छात्रों को दस्तावेज़ प्रबंधन में पारदर्शिता और सहूलियत मिलेगी।
  • यह न केवल राज्य के छात्रों के लिए शैक्षणिक सशक्तिकरण लाएगा, बल्कि राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली में सुधार का हिस्सा भी बनेगा।

उत्तराखंड सरकार का यह प्रयास शिक्षा के डिजिटलीकरण और पारदर्शिता की ओर एक सराहनीय कदम है।

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