नदी का नाला बताकर MDDA ने किया नक्शा पास, फंसी कई सौ बच्चों की जिंदगी

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ब्यूरो रिपोर्ट

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देवभूमि उत्तराखंड आज भी आपदाओं के गर्जन से जूझ रहा है। हर साल मानसून के दौरान नदियाँ उफान पर आती हैं और उनके किनारे बने निर्माण खतरे की घंटी बनकर आमजन के सिर पर मंडराते हैं। परंतु सबसे हैरानी की बात यह है कि जब ये निर्माण हो रहे थे, तब जिम्मेदार अधिकारी किस बेखबर नींद में सो रहे थे?

ताजा मामला सामने आया है देवभूमि कॉलेज पौधा से, जहाँ मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (MDDA) के मुख्य अभियंता हरि चंद्र सिंह राणा ने एक नाले को नदी बता कर नक्शा पास कर दिया। नदी से जुड़े आवश्यक प्रावधानों को पूरी तरह से ताक पर रखकर यह गलत नक्शा पास किया गया। अब जब मानसून आया और नदी उफान पर आई, तो उस नाले ने अपनी असलियत बता दी — कि वह एक छोटी नहर नहीं, बल्क‍ि एक मुख्य नदी है।

 

पूर्व में इस गंभीर मुद्दे को लेकर माननीय मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, आवास सचिव, कमिश्नर गढ़वाल और उपाध्यक्ष मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण को भी शिकायत भेजी गई थी। बावजूद इसके कोई कार्रवाई नहीं हुई। यह सवाल उठता है कि क्या MDDA की यही कार्यप्रणाली बन गई है – शिकायतों को ठंडे बस्ते में डाल देना?

 

अगर इसी गलती के चलते आज कोई अनहोनी हो जाती और किसी मासूम बच्चे की जान चली जाती तो जिम्मेदार कौन होता? ये जिम्मेदारी न सिर्फ मुख्य अभियंता हरि चंद्र सिंह राणा की बनती है, बल्कि उन अधिकारियों की भी जो इस अव्यवस्था को वर्षों से अनदेखा करते आ रहे हैं।

इतना ही नहीं, यह पहला मामला नहीं है। पहले भी मुख्य अभियंता हरि चंद्र सिंह राणा ने अपने परिवार की कंपनी की जमीन पर मास्टर प्लान में नाले पर ग्रुप हाउसिंग पास कर दिया था। शिकायत करने पर सिर्फ नक्शा निरस्त किया गया, परंतु दोषी अधिकारियो पर कोई कार्यवाई नहीं की गयी । MDDA के उपाध्यक्ष की ऐसी क्या विवशता है की मुख्य अभियंता के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं करते है।

 

सवाल बड़ा है – कब तक MDDA के ऐसे अधिकारी शहर की बर्बादी की दास्तान लिखते रहेंगे? कितने और नक्शे इसी तरह बिना जांच के पास किए जाएंगे, ताकि भविष्य में कोई बड़ा हादसा घटे?

 

इस पूरे घटनाक्रम से यह स्पष्ट हो जाता है कि उत्तराखंड में विकास की आड़ में हो रही अवैध निर्माणों पर नियामक संस्थाएं अपनी जिम्मेदारी से पीछे हट चुकी हैं। आम जनता की सुरक्षा और भविष्य की पीढ़ी की सलामती से खिलवाड़ किए जाने की परंपरा को अब बंद करने का समय आ चुका है।

 

👉🏼 आपका क्या विचार है? सरकार से जवाबदेही की मांग अब हर नागरिक की जिम्मेदारी ब

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