खबर उत्तराखण्ड के मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण से है जहा पर इन दिनों प्राधिकरण अपने ही बनाये आदेशों को दरकिनार कर देता है और अवैध प्लाटिंग काट रहे भूमाफिया को खुलेआम संरछण देकर पहाड़ो के सीने को छलनी करवा रहा है |
ध्वस्तीकरण के आदेश के बाद भी नहीं हुआ ध्वस्तीकरण
बताते चले की की देहरादून मसूरी विकास प्राधिकरण ने 14 मई को एक ध्वस्तीकरण का आदेश जारी किया जिसमें बताया गया की 16 मई को काला गाँव में अवैध प्लॉटिंग का ध्वस्तीकरण किया जाना है लेकिन हुआ वही जो हर बार होता आया है की जिम्मेदार अधिकारी तय तिथि पर ध्वस्तीकरण करने नहीं पहुचे और मामले में ठंडे बस्ते में डाल दिया गया ये कोई पहला मामला नहीं प्राधिकरण की मेहरबानी इतनी है की 3 साल से ध्वस्तीकरण की घुड़की देता है लेकिन फिर जिम्मेदार अधिकारी डर के मारे बैठ जाते है
सहायक अभियंता पर गंभीर आरोप,क्या हुई बड़ी सेटिंग
ये कहना गलत नहीं होगा की जिस तरह से लगातार प्राधिकरण में तैनात सहायक अभियंता प्रशांत सेमवाल पर गंभीर आरोप लगते रहे है और भ्र्ष्टाचार में संलित की बाते भी सामने आयी है कई गलत नक्शे इनके जरिये पास हुए है एक बार फिर सवाल खड़ा हुआ है की बीते मार्च में ध्वस्तीकरण के आदेश के बाद बीमारी का बहाना करके मामले को दबा दिया अब मई में ध्वस्तीकरण के आदेश के बाद ध्वस्तीकरण करने नहीं पहुचे | सूत्रों की माने तो मोटी रकम लेकर जिम्मेदार अधिकारी चुप्पी साधकर बैठ गए और मामले को ठंडे बस्ते में डालते हुए खुलेआम भूमाफियों को खुला संरक्षण अवैध प्लॉटिंग के लिए दे दिया |
क्या धमकाने और वसूली के लिए जारी होता है ध्वस्तीकरण के आदेश?
सवाल मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण पर अब ये भी खडे होने शुरू हो चुके है क्या प्राधिकरण सिर्फ भूमाफियों को डराने और वसूली के लिए ध्वस्तीकरण का आदेश जारी करता है क्युकी ध्वस्तीकरण के आदेश के बाद कोई कार्यवाई नहीं होती और फिर एक नया ध्वस्तीकरण का नोटिस भेज दिया जाता है और आरोप है मोटी रकम लेकर अधिकारी शांत बैठ जाते है |इस पुरे मामले को लेकर मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष से सम्पर्क कर उनके बयान के बारे में जानने की कोशिश की गयी लेकिन महोदय ने सम्पर्क नहीं किया |