उत्तराखंड रजत जयंती: विशेष सत्र में प्रदेश के भविष्य पर चर्चा, नेता प्रतिपक्ष बोले- कर्ज में डूबा प्रदेश
रिपोर्ट: आकाश
उत्तराखंड रंजत जयंती के अवसर पर दो दिवसीय विधानसभा का विशेष सत्र आज शुरू हो गया है। इसमें उत्तराखंड के भविष्य को लेकर चर्चा की गई। वहीं, देर शाम तक चले विधानसभा के विशेष सत्र को मंगलवार सुबह 11:00 बजे तक स्थगित कर दिया गया।
चर्चा में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि 25 वर्षों की विकास यात्रा का हमने लंबा सफर तय किया। कई उतार चढ़ाव भी देखने को मिले। मैं उत्तराखंड की जनता को राज्य स्थापना दिवस की शुभकामनाएं देना चाहता हूं। नौ नवम्बर को राज्य स्थापना के दिन सबके चेहरे पर ताजगी थी। हर्ष उल्लास था। सबको उम्मीद थी कि अब सपने सच होंगे। सबको खुशी थी कि हमने एक महत्वपूर्ण धरोहर पा ली है। लेकिन हमें अतीत के पन्नों को पलटना होगा। इसमें किसी दल, धर्म का योगदान नहीं था सबने उत्तराखंड बनाने का संकल्प लिया था
हम अहिंसात्मक रूप से अपनी जीत सुनिश्चित करेंगे। इतिहास के पन्नो में श्रीनगर में कांग्रेस का अधिवेशन अंकित है। पंडित जवाहरलाल नेहरू आये थे। तत्कालीन नेता प्रताप सिंह नेगी, नरेंद्र सिंह बिष्ट या राजा मानवेन्द्र शाह ने अलग जगहों पर उत्तर प्रदेश से अलग होने के लिए संघर्ष किया। दिल्ली में लगातार प्रदर्शन भी हुए। जो समिति बनी, उसके संयोजक हरीश रावत बने। तीन राज्यों के गठन के लिए संसद की जो समिति बनी, उसमें पार्टी की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी का विशेष योगदान रहा। कलकत्ता अधिवेशन में छोटे राज्यों के गठन का प्रताव पारित किया गया। पूर्व पीएम देवगौड़ा ने लाल किले की प्राचीर से उत्तराखंड अलग राज्य की घोषणा की थी, जिसमें पंडित नारायण दत्त तिवारी का अहम योगदान है। तब मसौदा भी तैयार हो गया था लेकिन राजनीतिक कारणों से ये संसद से पारित नहीं हो पाया। देवगौड़ा सरकार गिर गई लेकिन कोई और हिम्मत नही जुटा पाया। 1989 में एनडीए की सरकार बनी। स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में अलग तेलंगाना राज्य का भी आंदोलन चल रहा था। 25 जुलाई को उत्तर प्रदेश विधानसभा से प्रदेश पुनर्गठन विधेयक पारित हुआ लेकिन केंद्र में अटल सरकार के पास बहुमत नहीं था। उनकी सरकार इस विधेयक को पारित नहीं करा सकती थी। तब सोनिया गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस के 112 सदस्यों ने समर्थन दिया और ये विधेयक पारित हुआ। कांग्रेस के समर्थन के बिना ये विधेयक पारित नहीं हो सकता था।
नेता प्रतिपक्ष और विधायक में तीखी बहस
सदन में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य और विधायक बंशीधर भगत में तीखी बहस हुई। विधायक ने नेता प्रतिपक्ष को कहा कुछ समझ नहीं आ रहा। कांग्रेस विधायकों ने तंज कसा की इतने वरिष्ठ सदस्य को अपनी ही सरकार में धरना देना पड़ा।
25 वर्ष की यात्रा को पहाड़ के नजरिये से देखना होगा। चिपको आंदोलन होता था। शराब की दुकान के विरोध में महिलाएं दराती लेकर खड़ी हो जाती थी। हमारी मां बहन बेटियों ने दिल्ली तक हुंकार भरी। उनकी भावनाओं को समझना होगा। आशाएं धूमिल हो रही हैं। तीर्थ नगरी ऋषिकेश, यमुनोत्री में शराब की दुकान खुल रही है।
डबल इंजन की सरकार, कर्ज में डूबा उत्तराखंड
2017 में 40,000 करोड़ का कर्ज, 2025 में एक लाख करोड़ पार हो गया। वजह क्या है। क्या सरकार ने आय बढ़ाने के कोई ठोस उपाय किये? उत्पादकता बढ़ाने की पहल की। हर माह 200 से 300 करोड़ का कर्ज सरकार बाजार से ले रही है। 2016-17 में 19.50% राजस्व वृद्धि दर थी जो अब 11 % रह गई है। हंगर इंडेक्स में हमारी हालात दयनीय हैं। प्रति व्यक्ति आय भी 1.73 लाख तक पहुंची थी जो अब ठहर सी गई है। इससे आगे नहीं बढ़ पाए। बेरोजगारी देश मे सर्वाधिक है। 1200 गांव वीरान हो चुके हैं। कई गांव घोस्ट विलेज घोषित हो चुके। 35 लाख लोग राज्य बनने के बाद पलायन कर चुके हैं। पलायन आयोग की रिपोर्ट, 55% रोजगार, 15% शिक्षा, 10% लचर स्वास्थ्य सेवाओं की वजह से पलायन कर गए। आज भी 15 लाख बेरोजगार…1 लाख से ऊपर पद रिक्त हैं। जिन्हें भरने की जिम्मेदारी अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की थी लेकिन नकल माफिया सत्ता के करीबी। नकल जेहाद की बात करते हैं। नौजवान सड़कों पर उतरने को मजबूर हैं। ये उत्तराखंड राज्य की बदरंग तस्वीर है। भाजपा की सरकार ने बदरंगी तस्वीर बनाई है। पेपर लीक हो गया। अस्पतालों की दशा ये है कि अब रेफरल सेंटर बन गए। चौखुटिया से आवाज उठाई गई है। वो पैदल यात्रा करके देहरादून आ रहे हैं। वो आम आदमी हैं। बेहतर होता कोई जिम्मेदार मंत्री जाते और मांग को जायज बताकर वहां विशिष्ट डॉक्टर होंगे। सैटेलाइट सेंटर सीमांत जनपदों में क्यों नहीं खुलने चाहिए। मुख्य मार्ग तक आने में महिला का प्रसव हो जाता है। देवभूमि की इस तस्वीर को पूरा देश देख रहा है। 2047 में उत्तराखंड देश का श्रेष्ठ राज्य बनेगा लेकिन वो अभी बहुत दूर है।
जॉर्ज एवरेस्ट की भूमि का मामला भी सदन में गरमाया। पर्यटन विभाग इस लैंड के सुन्दरीकरण के लिए लोन लेता है। ये जमीन एक करोड़ सालाना की दर पर किराए पर दे दी जाती है। बंजर जमीन को उपजाऊ बनाने की पहल करनी चाहिए। कमजोर वर्ग, एससी, एसटी की जमीनें छीनने का प्रयास किया जा रहा है।
शराब माफिया, भू माफिया का गठजोड़ है। खुलेआम अधिकारियों का संरक्षण है। अफसर शाही इतनी निरंकुश हो सकती है, उसकी कल्पना भी नहीं कर सकते थे। जिला पंचायत चुनाव के दौरान नैनीताल में हमारे 6 सदस्यों को बंदूक की नोक पर उठा ले जाते हैं। हम पर ही मुकदमे दर्ज हो जाते हैं। हमने नैनीताल के एसएसपी को सस्पेंड करने की मांग की थी। डीएम को हटाने की मांग की थी। सरकार ऐसे अधिकारियों को संरक्षण देती है। वक्त आएगा। वक्त बदलेगा। सबका हिसाब किया जाएगा।
अनुसूचित जनजाति की महिलाओं को यूसीसी से बाहर कर दिया गया। क्या वे प्रदेश के बाहर की थी। 4% जनजाति यहां निवास करती है। क्या वो लैंगिक समानता की अधिकारी नहीं थी। दो जिलों के लिए भू कानून अलग और 11 जिलों के लिए अलग कानून ? कहा कि हरीश रावत सरकार ने केदारनाथ आपदा के समय व्यक्तिगत आकलन के आधार पर मुआवजा दिया था लेकिन क्या आज आपदा प्रभावित को सरकार ने मदद दी। सरकार आपदा में पुनर्वास का आंकड़ा दे। क्या ये उत्सव मनाने का वक्त है। कॉमेडी शो हो रहे हैं। दिल्ली मुंबई से कलाकार आकर हास्य परिहास कर रहे हैं। ये उन पीड़ितों के आंसू पोंछने का समय था। सरकार को सच को स्वीकार करना चाहिए। सकारात्मक राजनीति करिए।
मंत्री सतपाल महाराज ने गिनाए काम
15 अगस्त 1996 में तत्कालीन पीएम देवगौड़ा और 15 अगस्त 1997 में तत्कालीन पीएम आइके गुजराल ने भी लाल किले से अलग राज्य उत्तराखंड की घोषणा की थी। वर्ष 2000 में प्रदेश में 15,470 किमी सड़कें थीं। अब 47,735 किमी हो गईं। 3979 नए गांवों को सड़क मार्ग से जोड़ा गया, जो आज 14,027 हो गए। 2000 में पैदल सेतु 625 थे जो आज 1003 हो गए मोटर पल 625 से 2770 हो गए।
526 राष्ट्रीय राजमार्ग थे, आज 3595 हो चुके हैं। हमने गड्ढा मुक्त एप बनाया है। 12769 करोड़ की ऑल वेदर रोड की सौगात मिली। नैनीताल, रुद्रप्रयाग, काशीपुर, हल्द्वानी में बायपास बने। कैंचीधाम, रुद्रपुर, हरिद्वार में बायपास का निर्माण चल रहा है। 2050 के लिए लोनोवि खास योजना पर काम कर रहा है। राजमार्ग का 1469 को डबल लेन करेंगे। सभी स्टेट हाईवे पर क्रैश बैरियर लगाएंगे। प्रमुख चौराहों पर फ्लाईओवर बनाएंगे। रिस्पना व बिंदाल पर फ्लाईओवर बन रहे हैं। जमीन अधिग्रहण शुरू हो चुका है। विभिन्न स्थानों पर हेलीपैड, हेलीपोर्ट बनाये गए हैं। पीएमजीएसवाई के तहत 21,296 किमी सड़कें बनी। 1860 बसावटों को सड़क संपर्क में लाया गया। ग्रामीण निर्माण विभाग कीओर से 282 ग्रामीण मोटर मार्ग को बनाया गया। 2,35,654 की आबादी को लाभ मिला। पर्यटन के क्षेत्र में कई योजनाएं शुरू हुईं। 3 साल में 23 करोड़ से अधिक पर्यटक आ चुके हैं। होम स्टे योजना से 1118 लोग लाभान्वित हो चुके हैं। आदि कैलाश यात्रा को सुगम बनाने पर जोर दिया जा रही है। बिना चाइनीज वीजा लीपुलेह दर्रे से आप कैलाश मानसरोवर यात्रा कर सकेंगे, इस पर सरकार काम कर रही है। 24 मंदिरों का सर्किट बनाया है। मानसखंड मंदिर माला मिशन के तहत 16 प्राचीन मंदिरों को जोड़ा जा रहा है। केदार मंदिर माला मिशन भी धरातल पर लाया जा रहा है। प्रथम गांव माणा और जादुंग को वाइब्रेंट विलेज के तौर पर विकसित कर रहे हैं। पुराने पुलों पर पार्किंग, रेस्टोरेंट बनाने का काम किया जा रहा है। सरौल ब्राह्मण को पेंशन देने की योजना पर काम कर रही है। जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख के पूर्ण चुनाव के लिए केंद्र को प्रस्ताव भेजा गया। 13 में से 7 हलीपोर्ट बन चुके। 17 स्थानों पर नए हेलिपैड। 10 नए रुट देहरादून-अल्मोड़ा आदि पर हवाई सेवा शुरू की जानी है।(5:48बजे) आईटी के क्षेत्र में अपुनी सरकार पोर्टल से 954 सेवाएं मिल रही हैं। समस्त ग्राम पंचायत तक हाई स्पीड इंटरनेट देना है। 2030 तक एआई के क्षेत्र में स्थापित करना है। अमृत 2 के तहत 284 करोड़ की 19 पेयजल योजनाओं पर काम किया जा रहा है। 25 साल में नगर निकाय 63 से 107 हो चुके। डिजिटल जल सेवा निगरानी प्रणाली स्थापित करेंगे।
विकास की दिशा में बढ़ रहा उत्तराखंड- सुबोध उनियाल
संसदीय कार्य मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि राज्य के गठन की लड़ाई 1952 से शुरू हो गई थी। सबको उम्मीद थी कि राज्य अलग बनेगा तो विकास को गति मिलेगी। हमने छात्र जीवन से इसको देखा। 25 वर्ष में 10 साल कांग्रेस और 15 साल भाजपा को जनता ने मौका दिया। 5% गांव सड़क से जुड़े थे। 15% से अधिक गांवों में बिजली नहीं थी। स्कूल दूर तक नहीं मिलते थे। ट्रेन नेटवर्क शून्य था। हवाई के बारे में तो सोचना ही बेमानी था। 524 विधेयक इस विधानसभा से 25 साल में पारित हुए। जी 20 जैसा महत्वपूर्ण आयोजन किया। केंद्र सरकार ने 2 लाख करोड़ उत्तराखंड जैसे राज्य को दिया।
आज पूरी दुनिया पर्यावरण को लेकर चिंतित है। राज्य गठन से ज्यादा फॉरेस्ट कवर आज है। जंगलों से आम आदमी को जोड़ा। राज्य में संरक्षित क्षेत्र नेशनल औसत से ज्यादा है। आज 4500 से ज्यादा हाई स्कूल और इंटर कॉलेज हैं। 100 से अधिक डिग्री कॉलेज हैं। सड़कें कई गुना हुई। सभी मुख्यमंत्री की यात्रा में हमें सबकी उपलब्धि पर चर्चा करने के साथ ही भविष्य के उत्तराखंड और विकसित राष्ट्र में उत्तराखंड की सहभागिता पर हमारा जोर होगा। हम मिलकर इस दिशा में चर्चा में भाग लेंगे।
