उत्तराखंड के चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत की अध्यक्षता में सचिवालय स्थित मुख्य सचिव सभागार में एक उच्च स्तरीय बैठक आयोजित की गई। बैठक में स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ गैप एनालिसिस पर विस्तृत चर्चा की गई। इसमें प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए, जिन पर वित्त और कार्मिक विभागों ने सहमति दी।
गैप एनालिसिस की मुख्य सिफारिशें और उठाए गए कदम
बैठक में गैप एनालिसिस के माध्यम से प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों और राजकीय चिकित्सालयों में मौजूद कमियों और उनके समाधान पर चर्चा की गई। निम्नलिखित प्रमुख बिंदुओं पर सहमति बनी:
1. मेडिकल फैकल्टी और विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती
- विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी को दूर करने के लिए नए पद सृजित किए जाएंगे।
- मेडिकल कॉलेजों में संकाय सदस्यों की समयबद्ध पदोन्नति और स्थानांतरण के लिए नीति बनाई जाएगी।
- विशेषज्ञ चिकित्सकों को एम्स के बराबर वेतनमान प्रदान करने का निर्णय।
2. पैरामेडिकल और नर्सिंग स्टाफ
- कुशल पैरामेडिकल और नर्सिंग स्टाफ की तैनाती की जाएगी।
- पैरामेडिकल और नर्सिंग छात्रों के लिए वजीफे की व्यवस्था की जाएगी।
- आवश्यकतानुसार आउटसोर्सिंग के माध्यम से पदों का सृजन किया जाएगा।
3. पीजी छात्रों के लिए नई बॉन्ड पॉलिसी
- सभी पीजी छात्रों के लिए यह अनिवार्य होगा कि वे अपनी पढ़ाई के बाद दो वर्षों तक राज्य में सेवाएं दें।
4. चिकित्सा उपकरणों का प्रशिक्षण
- महंगे चिकित्सा उपकरणों की हैंडलिंग और प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय संस्थानों में प्रशिक्षण देने हेतु वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
- राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर अल्पकालिक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
5. आवास और सुविधाएं
- मेडिकल कॉलेजों में पर्याप्त आवास और सुसज्जित ट्रांजिट हॉस्टल की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
- चिकित्सकों के लिए वाहन भत्ते की व्यवस्था पर सहमति बनी।
6. विशेषज्ञ संवर्ग का गठन
- स्वास्थ्य विभाग में विशेषज्ञ संवर्ग का गठन किया जाएगा।
- पर्वतीय क्षेत्रों में तैनात विशेषज्ञ चिकित्सकों को उनके वेतनमान का 50% विशेष भत्ता दिया जाएगा।
7. एसआर और जेआर के मानदेय में वृद्धि
- सीनियर रेजिडेंट (एसआर) और जूनियर रेजिडेंट (जेआर) का मानदेय बढ़ाने पर सहमति बनी।
बैठक में अन्य अहम प्रस्ताव
- मुख्य परामर्शदाता के रूप में सेवा
- 60 वर्ष की आयु के बाद विशेषज्ञ चिकित्सकों को मुख्य परामर्शदाता के रूप में सेवा देने का अवसर दिया जाएगा, जिसके लिए वेतनमान निर्धारित किया जाएगा।
- एसडीएसीपी योजना में छूट
- स्पेशल डायनमिक एश्योर्ड कैरियर प्रोग्रेशन (एसडीएसीपी) योजना के तहत वंचित चिकित्सकों को शिथिलीकरण प्रदान किया जाएगा।
- वित्तीय सहायता
- महंगे उपकरणों के प्रशिक्षण और कीटाणुशोधन तकनीकों के लिए राष्ट्रीय स्तर के संस्थानों से वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।
बैठक में मौजूद अधिकारी
बैठक में स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के साथ-साथ वित्त व कार्मिक विभाग के अधिकारी भी उपस्थित रहे। प्रमुख अधिकारी जो बैठक में मौजूद थे:
- अपर मुख्य सचिव कार्मिक व वित्त: आनंद वर्द्धन
- स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक: डॉ. तारा आर्य
- दून मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य: डॉ. गीता जैन
- सचिव स्वास्थ्य: आर. राजेश कुमार
- निदेशक चिकित्सा शिक्षा: डॉ. आशुतोष सयाना
- अन्य विभागीय अधिकारी: डॉ. सुनीता टम्टा, प्रो. सीएमएस रावत, प्रो. रंगील सिंह रैना आदि।
डॉ. रावत का बयान
चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा:
“आज सचिवालय में आयोजित महत्वपूर्ण बैठक में दोनों विभागों ने स्वास्थ्य सेवाओं के सुदृढ़ीकरण के लिए अपने प्रस्तुतिकरण दिए। विस्तृत चर्चा के बाद वित्त और कार्मिक विभाग ने कई अहम बिंदुओं पर सहमति व्यक्त की। इन निर्णयों का जल्द क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं।”
प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने की दिशा में यह बैठक एक महत्वपूर्ण कदम है। गैप एनालिसिस के माध्यम से उजागर की गई कमियों को दूर करने के लिए ठोस योजनाएं तैयार की गई हैं। इन सुधारों के क्रियान्वयन से न केवल प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार होगा, बल्कि यह आम जनता को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने में भी सहायक होगा।