उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के नानोता क्षेत्र स्थित बरसी गांव में होलिका दहन नहीं करने की सदियों पुरानी परंपरा आज भी कायम है। इस गांव के लोग मानते हैं कि गांव के बीचों-बीच स्थित महाभारत कालीन शिव मंदिर में स्वयं भगवान शिव निवास करते हैं और उनकी परिक्रमा इस मंदिर की सीमा के भीतर होती है। इस मान्यता के कारण गांव में कभी होलिका दहन नहीं किया जाता, ताकि मंदिर की भूमि गर्म न हो और भगवान के चरण झुलसने से बचें।
अनूठी धार्मिक आस्था: क्यों नहीं जलाते होलिका?
बरसी गांव के निवासी अपने पूर्वजों से चली आ रही इस परंपरा का पालन करते आ रहे हैं।
- गांव के लोग मानते हैं कि शिवजी इस मंदिर की सीमा में विचरण करते हैं और होलिका दहन से भूमि गर्म हो सकती है, जिससे भगवान के चरण जल सकते हैं।
- यह परंपरा 5,000 वर्षों से चली आ रही है और आज भी इसे पूरी श्रद्धा से निभाया जा रहा है।
- हालांकि, गांव के लोग आसपास के गांवों में जाकर होलिका दहन में भाग लेते हैं, लेकिन अपने गांव में सिर्फ रंगों से होली मनाते हैं।
महाभारत काल से जुड़ी मान्यता: दुर्योधन ने करवाया था मंदिर निर्माण
ग्राम प्रधान आदेश कुमार के अनुसार, इस शिव मंदिर का निर्माण महाभारत के युद्ध के दौरान दुर्योधन द्वारा रातों-रात करवाया गया था।
- पौराणिक कथा के अनुसार, जब अगली सुबह भीम ने इस मंदिर को देखा, तो उन्हें यह पसंद नहीं आया और अपनी गदा से इसके मुख्य द्वार को पश्चिम की ओर मोड़ दिया।
- यह भारत का एकमात्र ऐसा शिव मंदिर माना जाता है, जिसका मुख पश्चिम दिशा में है।
- स्थानीय लोग इसे भगवान शिव का आशीर्वाद मानते हैं और गांव में किसी भी तरह की अग्नि पूजा (होलिका दहन) से बचते हैं।
भगवान कृष्ण का संबंध भी इस गांव से
गांव में यह मान्यता भी प्रचलित है कि महाभारत युद्ध के दौरान भगवान श्रीकृष्ण जब कुरुक्षेत्र जा रहे थे, तब वे इस गांव से गुजरे थे।
- गांव की सुंदरता से मंत्रमुग्ध होकर श्रीकृष्ण ने इसकी तुलना पवित्र बृज भूमि से की थी।
- इस धार्मिक महत्ता के कारण भी गांव में विशेष परंपराएं आज तक जीवंत हैं।
महाशिवरात्रि पर उमड़ती है श्रद्धालुओं की भीड़
गांव के शिव मंदिर की महिमा दूर-दूर तक फैली हुई है।
- मंदिर के पुजारी नरेंद्र गिरि के अनुसार, महाशिवरात्रि पर हजारों श्रद्धालु यहां अभिषेक करने आते हैं।
- नवविवाहित जोड़े भगवान शिव का आशीर्वाद लेने विशेष रूप से इस मंदिर में आते हैं।
- पूरे वर्ष मंदिर में पूजा-अर्चना और धार्मिक अनुष्ठान चलते रहते हैं।
गांववालों की आस्था बनी मिसाल
बरसी गांव के निवासी रवि सैनी कहते हैं,
“यहां कोई भी भगवान शिव की साक्षात उपस्थिति को नहीं मानने का जोखिम नहीं उठाना चाहता है। यह परंपरा हजारों वर्षों से चली आ रही है और आगे भी जारी रहेगी।“
देशभर में जहां होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है, वहीं बरसी गांव ने अपनी धार्मिक मान्यता के कारण इसे स्वेच्छा से छोड़ दिया है।
सहारनपुर का बरसी गांव धार्मिक आस्था और परंपराओं का अद्भुत उदाहरण है। यहां के लोग भगवान शिव की उपस्थिति को मानते हुए 5,000 वर्षों से होलिका दहन नहीं कर रहे हैं। यह परंपरा श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक बन चुकी है और आने वाली पीढ़ियों के लिए भी जारी रहने की संभावना है।