मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (MDDA) के मुख्य अभियंता श्री हरी चन्द सिंह राणा पर गंभीर आरोप लगे हैं, जिसमें उनके द्वारा अपने पद का दुरुपयोग कर परिवार के सदस्यों को अवैध और अनुचित लाभ पहुंचाने का आरोप शामिल है। इस मामले ने अब तूल पकड़ लिया है, और शिकायत मुख्यमंत्री समेत उच्च अधिकारियों तक भेजा जा रहा है। शिकायत में श्री राणा पर कई अनियमितताओं और नियम विरुद्ध गतिविधियों का विस्तृत ब्यौरा दिया गया है।
टिहरी हाउस प्रा0 लि0 का विवादित नक्शा मामला
शिकायत में सबसे प्रमुख मामला टिहरी हाउस प्रा0 लि0 से जुड़ा है, जिसमें ढाकपट्टी परगना परवादून के खसरा नम्बर-83 और 87 पर ग्रुप हाउसिंग के लिए नक्शा स्वीकृत किया गया। यह कंपनी श्री राणा के पुत्र सुमित राणा और पुत्रवधु हिमानी राणा द्वारा बनाई गई थी। हालांकि, बाद में सुमित राणा को हटाकर विश्वास घई को निदेशक नियुक्त किया गया, परंतु विवादित भूमि सुमित राणा के निदेशक रहते ही खरीदी गई थी।
तथ्यों के अनुसार, यह नक्शा पास करने में श्री राणा ने कई नियमों का उल्लंघन किया। इसके अलावा, नक्शा पास करने के लिए जिस भूमि का चयन किया गया, वह भूमि जलमग्न घोषित थी, और उस पर जिलाधिकारी के आदेश के अनुसार किसी भी प्रकार का क्रय-विक्रय और निर्माण प्रतिबंधित था।
प्रमुख आरोप और जांच के विषय
1. जिस भूमि पर उक्त नक्शा पास किया गया है। उस भूमि पर उपजिलाधिकारी की रिपोर्ट दिनांक-26.12.2015 के अनुसार ग्राम ढाकपट्टी स्थित भूमि खसरा नम्बर-87मि रकबा 0.5710 हे0 भूमि जलमग्न अंकित है। जिसके क्रम में तत्कालीन जिलाधिकारी देहरादून श्री रविनाथ रमन द्वारा आदेश पारित कर ग्राम ढाकपट्टी स्थित भूमि खसरा नम्बर-10, 25, 83, 87, 60 के साथ 10/2 एवं खसरा नम्बर 87क के खुर्द बुर्द करने तथा उक्त खरा नम्बरान पर किसी प्रकार के क्रय विक्रय, दाखिल खारिज एवं भूमि के स्वरूप परिवर्तन पर रोक लगाई गई थी। यह आदेश उक्त खसरा नम्बरो की खतौनी में भी दर्ज है। तत्कालीन जिलाधिकारी महोदय के आदेशो के विरूद्ध टिहरी हाउस प्रा0 लि0 द्वारा साल 2022 की भूमि का क्रय किया गया। आजतक इस भूमि का दाखिल खारिज नही हो पाया है।
2. इस भूमि के क्रय विक्रय में एक बहुत ही रोचक तथ्य प्रकाश में आता है। विक्रय पत्र-1 के अनुसार भूमि की सर्किल दरो के अनुसार 33726000.00 मूल्यांकन है परन्तु इनके द्वारा 4200000.00 एवं विक्रय पत्र-2 के अनुसार भूमि की सर्किल दरो के अनुसार 34650000.00 मूल्यांकन है परन्तु इनके द्वारा 4800000.00 में खरीदी गई ऐसा कैसे सम्भव है कि सर्किंल रेट से करीब 80 से 85 प्रतिशत कम दरो पर श्री राणा के पुत्र द्वारा ही जमीन खरीदी गई हो। भूमि के सर्किल दर एवं क्रय के मूल्य से मनी लोण्डरिंग की सम्भावनाओ को भी नकारा नही जा सकता है। आस पास के इलाके में किसी भी भूमि की रजिस्ट्री इतने कम दरो पर नही हुई है। यह बहुत बडा जॉच का विषय है।
3. नक्शा पास करने में मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण में तैनात लेखपाल श्री नजीर अहमद की रिपोर्ट जॉच का विषय है एवं उनकी कार्यशैली पर सवाल खडे होते है। उनके द्वारा SDM महोदय को भूमि की पुष्टि के लिए पत्र भिजवाया गया था। क्या इस तरह से ही सभी मामलो में प्राधिकरण के लेखपाल नजीर अहमद द्वारा लेटर एस0डी0एम0 महोदय कोे भेजा जाता है। साथ ही यह भी अवगत कराना है कि लेखपाल नजीर अहमद जो पिछले 17 सालो से डेपुटेशन पर मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण में तैनात है। सरकार उनपर अधिक मेहरबान है क्योकि सरकार का नियम कहता है कि 5 साल तक ही कोई कर्मचारी डेपुटेशन पर दूसरे विभाग में कार्य कर सकता है परन्तु लेखपाल श्री नजीर अहमद जी को प्राधिकरण में पिछले 17 सालो से तैनात है। इस तरह के गलत कार्य करने करने के इनाम स्वरूप ही इनका डेपुटेशन बार बार बढा दिया जाता है। इनका डेपुटेशन 17 साल तक किया जाना भी एक जॉच का विषय है।
4. फाईल में नायब तहसीलदार द्वारा भी रिपोर्ट दी गई है जिसमें उक्त खसरा नम्बरो की भूमि बंजर दर्ज होने का उल्लेख किया गया है तथा नक्शा पास किए जाने के लिए पुष्टि की गई है। क्या उक्त भूमि पर न्यायालय व जिलाधिकारी देहरादून महोदय के आदेशो का पता नायब तहसीलदार को नही था। इस प्रकार से तो नायब तहसीलदार के इस मामले में शामिल होने का साफ साफ इशारा हो रहा है एवं उनके द्वारा उक्त भूमि पर टिहरी हाउस प्रा0 लि0 के ग्रुप हाउसिंग पास करने के लिए गलत रिपोर्ट दी गई है। यह भी एक जॉच का विषय है। नायब तहसीलदार की रिपोर्ट से यह भी स्पष्ट होता है कि जलमग्न भूमि पर भराव किया जोकि अपने आप मे बहुत बडा फोल्ट है।
5. MDDA में इस फाईल को पास करने में जितनी जल्दी दिखाई गई वह भी विचार करने योग्य बात है। एक ही दिन में यह फाईल जेई सचिन कुमार , एक्शन सुनील कुमार, SE हरिचन्द सिंह राणा एवं उपाध्यक्ष द्वारा राणा के प्रभाव एवं दबाव में समस्त अधिकारियो सहित 4 घण्टे में पास कर दी गई। जबकि आमजन को एक छोटा सा नक्शा पास कराने में महीनो लग जाते है।
6. अपने परिवारजनो को अनुचित एवं नियम विरूद्ध लाभ पहुॅचाने के लिए श्री राणा द्वारा बिना पैसा जमा कराए प्रोविजनल नक्शा जारी किया गया। यह गम्भीर वित्तीय अनियमित्ता की श्रेणी में आता है एवं परिवारजनो को फायदा पहुॅचाने के लिए पद का गम्भीर दुरूपयोंग है।
7. पूर्व में भी श्री राणा द्वारा कई गलत नक्शे पास किए गए है एवं वित्तीय अनियमित्ता की गई है। परन्तु अपने धन बल एवं इनकी मजबूत राजनैतिक पकड के चलते कोई भी अधिकारी इनपर हाथ डालने से डरता है। मा0 आवास मंत्री को तो इनको विशेष आर्शीवाद प्राप्त है।
8. एक ऐसा ही इनके परिवार का एक मामला हरिद्वार में चल रहा है । जिसमें इनके द्वारा एक अवैध होटल का निर्माण किया गया है। ढेड साल से वह होटल सील है परन्तु सील बिल्डिंग में भी लगातार कार्य किया जा रहा है एवं इनके डर के कारण कोई भी अधिकारी/कर्मचारी वहॉ काम रोकने की चेष्टा नही कर पाता है। तत्कालीन उपाध्यक्ष HRDA द्वारा इसका नक्शा रिजेक्ट किया जा चुका है। परन्तु इनके प्रभाव के कारण रिजेक्टीड फाईल दोबारा खोली गई एवं उसको पास करने के लिए हर सम्भव प्रयास किया जा रहा है। फाईल पर CTP की रिपोर्ट में स्पष्ट मना करने के बावजूद भी दो बार उन्हे फाईल भेजी गई एवं दबाव बनाया गया परन्तु CTP के द्वारा इस फाईल को पास करने के लिए पोजिटिव रिपोर्ट कभी नही दी गई। श्री राणा के भय के कारण के HRDA अधिकारियों द्वारा CTP को भ्रमित करने का हर सम्भव प्रयास किया गया है। यह नक्शा गलत पास करने के लिए के HRDA अधिकारियो द्वारा पिछले 2 साल से हर गलत सम्भव प्रयास किया जा रहा है। 2 साल से नक्शा एक बार Technically रिजेक्ट होने के बावजूद यह नक्शा रिजेक्ट नही किया गया।
शिकायतकर्ता की मांग
शिकायतकर्ता ने इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है, जिसमें राणा और अन्य अधिकारियों की भूमिकाओं की निष्पक्षता से समीक्षा की जाए। इसके अलावा, लेखपाल नजीर अहमद के 17 वर्षों के डेपुटेशन और उनकी संदिग्ध कार्यशैली की भी जांच कराए जाने की आवश्यकता जताई गई है।
यह मामला केवल एक अधिकारी के पद के दुरुपयोग तक सीमित नहीं है, बल्कि प्रशासनिक और वित्तीय पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े करता है। जांच एजेंसियों द्वारा निष्पक्ष और सख्त कार्रवाई से ही इस प्रकार की अनियमितताओं को रोका जा सकता है। शिकायत पत्र में लिखा गया है की उपरोक्त समस्त तथ्यो से यह स्पष्ट होता है कि श्री राणा द्वार अपने पद अपने परिवारजनो का लाभ पहुॅचने हेतु दुरूउपयोग किया जाता है एवं वह अपने परिवारजनो के साथ जमीनो के गलत तरीके खरीद फरोख में भी संलिप्त है। इस आदमी का प्रभाव इतना अधिक है कि कोई भी उच्च अधिकारी इसके जॉच करने में घबराता है। पूर्व में भी इसकी कई शिकायते की गई है। परन्तु आज तक कोई जॉच नही की गई। उपरोक्त तथ्यो के साथ साथ श्री राणा द्वारा किए गए अन्य कार्यो की भी जॉच कराते हुए उचित दण्ड दिलवाने की कृपा करे साथ ही उपरोक्त प्रकरण में श्री नजीर अहमद लेखपाल प्राधिकरण एवं 17 साल से उनकी डेपुटेशन की जॉच कराने की कृपा करे।
यह देखना अब महत्वपूर्ण होगा कि राज्य सरकार और प्राधिकरण इस मामले में क्या कार्रवाई करते हैं और दोषियों पर क्या दंड लगाया जाता है।