शिक्षा विभाग में 599 अतिथि शिक्षकों की शीघ्र तैनाती: डॉ. धन सिंह रावत

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599 अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति:
कला वर्ग के विषयों में रिक्त पदों को भरने के लिए अतिथि शिक्षकों की तैनाती का निर्णय।

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  1. पर्वतीय और दूरस्थ क्षेत्रों को प्राथमिकता:
    दुर्गम और अति दुर्गम क्षेत्रों के विद्यालयों में पठन-पाठन सुधारने पर जोर।
  2. नई शिक्षा नीति-2020 के तहत कदम:
    राज्य में शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ और समावेशी बनाने का प्रयास।

पृष्ठभूमि

उत्तराखंड सरकार ने पर्वतीय और दूरस्थ क्षेत्रों में शिक्षकों की कमी दूर करने और शैक्षणिक गतिविधियों को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए 599 अतिथि शिक्षकों की तैनाती का निर्णय लिया है। ये नियुक्तियां कला वर्ग के विषयों में रिक्त पदों के सापेक्ष की जाएंगी।


नियुक्ति के विवरण

सामान्य शाखा (511 पद):

विभिन्न विषयों में रिक्त पद:

  • हिन्दी: 125
  • इतिहास: 59
  • नागरिक शास्त्र: 130
  • अर्थशास्त्र: 130
  • भूगोल: 67

महिला शाखा (88 पद):

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  • हिन्दी: 25
  • भूगोल: 8
  • अर्थशास्त्र: 20
  • नागरिक शास्त्र: 20
  • इतिहास: 15

जनपदवार तैनाती

सामान्य शाखा:

जनपद अतिथि शिक्षकों की संख्या
चमोली 69
रुद्रप्रयाग 46
पौड़ी 119
टिहरी 54
देहरादून 2
हरिद्वार 1
उत्तरकाशी 17
अल्मोड़ा 58
नैनीताल 21
बागेश्वर 23
पिथौरागढ़ 64
चम्पावत 29
ऊधमसिंह नगर 8

महिला शाखा:

जनपद अतिथि शिक्षकों की संख्या
चमोली 13
रुद्रप्रयाग 1
उत्तरकाशी 1
पौड़ी 13
टिहरी 2
देहरादून 2
अल्मोड़ा 19
नैनीताल 2
बागेश्वर 6
पिथौरागढ़ 10
चम्पावत 5
ऊधमसिंह नगर 14

तैनाती का उद्देश्य

डॉ. धन सिंह रावत ने बताया कि सरकार का उद्देश्य पर्वतीय क्षेत्रों में शिक्षा को बेहतर बनाना है। यह पहल विशेष रूप से छात्रों को स्थानीय स्तर पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए की जा रही है।

  • शिक्षकों की कमी होगी दूर:
    रिक्त पदों को भरने से स्कूलों में शिक्षकों की कमी खत्म होगी।
  • शैक्षणिक गतिविधियां होंगी सुचारू:
    पठन-पाठन में सुधार और छात्रों को नियमित रूप से शिक्षण सेवाएं उपलब्ध कराना।
  • नई शिक्षा नीति के अनुरूप कदम:
    शिक्षा को समावेशी और गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाए गए प्रमुख कदमों में से एक।

महत्त्वपूर्ण तथ्य

  • यह कदम विज्ञान वर्ग के बाद कला वर्ग के विषयों को प्राथमिकता देकर शिक्षा प्रणाली में संतुलन लाने का प्रयास है।
  • दुर्गम और अति दुर्गम क्षेत्रों में तैनाती से स्थानीय छात्र-छात्राओं को घर के पास ही उच्च शिक्षा का लाभ मिलेगा।

उत्तराखंड सरकार की यह पहल पर्वतीय और दुर्गम क्षेत्रों में शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए एक सकारात्मक कदम है। इससे न केवल शिक्षकों की कमी पूरी होगी बल्कि छात्रों को बेहतर शैक्षणिक सुविधाएं भी मिलेंगी।
डॉ. धन सिंह रावत के निर्देशों से विभागीय अधिकारियों ने शीघ्र कार्रवाई का आश्वासन दिया है।

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