माननीय मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी से मुलाकात के दौरान मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण (MDDA) में मुख्य अभियंता हरि चंद्र सिंह राणा और लेखपाल नजीर अहमद के भ्रष्टाचार से संबंधित गंभीर मामलों को लेकर चर्चा की गई। इस मुलाकात में राणा के नाले की जमीन पर नक्शा पास करने जैसे कृत्यों और प्राधिकरण के अन्य संदिग्ध फैसलों पर विस्तृत जानकारी दी गई। मुख्य सचिव ने मामले की गंभीरता को समझते हुए जल्द ही जांच के लिए टीम गठित करने का आश्वासन दिया।
मुख्य आरोप और तथ्य
1. नाले की जमीन पर नक्शा स्वीकृति
- तकनीकी विशेषज्ञों के अनुसार, जिस भूमि का नक्शा पास किया गया है, वह नाले की जमीन है, जो मास्टर प्लान में स्पष्ट रूप से “नाला” के रूप में अंकित है।
- ड्राफ्टमैन सुभाष सिंह चौहान ने नाले की इस भूमि का लैंड यूज बदलकर आवासीय दिखाते हुए नक्शा स्वीकृति के लिए आगे बढ़ा दिया।
- सवाल यह उठता है कि ड्राफ्टमैन को यह अधिकार किसने दिया कि वह नाले की जमीन का उपयोग बदल सके? यह भी जांच का विषय है।
2. गलत प्रक्रिया और अयोग्य अधिकारी
- नवंबर में नक्शा स्वीकृति के लिए जिस जेई सचिन कुमार ने फाइल बढ़ाई, वह मसूरी में पोस्टेड थे और मेप सेल का हिस्सा भी नहीं थे।
- नक्शा पास करने की जिम्मेदारी देपुटेशन पर आए अधिशासी अभियंता सुनील कुमार को सौंपी गई, जबकि उन्हें नक्शा पास करने का कोई अनुभव नहीं था। यह स्पष्ट रूप से नियमों का उल्लंघन है।
- यह सब मुख्य अभियंता हरि चंद्र सिंह राणा के दबाव में किया गया।
3. राणा का दबाव और भ्रष्टाचार
- ड्राफ्टमैन सुभाष सिंह चौहान और अन्य अधिकारियों पर राणा का इतना दबाव था कि उन्होंने नाले की भूमि को आवासीय घोषित कर नक्शा पास करने के लिए आगे बढ़ा दिया।
- नक्शा स्वीकृति के इस गलत कार्य को विभाग ने रद्द (कैसल) कर दिया, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
4.लेखपाल नजीर अहमद की भूमिका
लेखपाल नजीर अहमद, जो पिछले 17 वर्षों से डेपुटेशन पर MDDA में तैनात हैं, पर भी सवाल उठाए गए हैं। शिकायत के अनुसार, नियमों के विपरीत उन्हें बार-बार डेपुटेशन का विस्तार दिया गया। उनकी रिपोर्ट और कार्यशैली को जांच के दायरे में लाने की मांग की गई है।
शिकायत की विस्तृत प्रक्रिया
इस मामले की शिकायत मुख्यमंत्री, आवास सचिव, गढ़वाल कमिश्नर, जिलाधिकारी देहरादून, और उपाध्यक्ष MDDA से औपचारिक पत्र के माध्यम से की गई है। शिकायत में सभी तथ्यों और दस्तावेजों को समाहित किया गया है।
- यदि इन शिकायतों पर शीघ्र उचित कार्रवाई नहीं होती है, तो शिकायतकर्ता माननीय न्यायालय का रुख करेंगे।
प्रमुख सवाल और जांच के विषय
- नाले की भूमि का लैंड यूज बदलने का अधिकार किसने दिया?
- जेई सचिन कुमार, जो मसूरी में पोस्टेड हैं, उन्होंने मेप सेल का हिस्सा न होते हुए भी नक्शा स्वीकृति के लिए फाइल कैसे बढ़ाई?
- देपुटेशन पर आए अधिशासी अभियंता सुनील कुमार को बिना अनुभव के नक्शा पास करने की जिम्मेदारी क्यों दी गई?
- राणा के दबाव में नक्शा पास करने वाले अधिकारियों और ड्राफ्टमैन पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
- MDDA ने नक्शा तो रद्द कर दिया, लेकिन गलत कार्य करने वालों पर दंडात्मक कार्रवाई क्यों नहीं की गई?
मुख्य सचिव का आश्वासन
मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने इस गंभीर मामले पर जल्द जांच टीम गठित करने और दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया।
न्यायालय जाने की तैयारी
शिकायतकर्ता ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि मामले में जल्द और निष्पक्ष कार्रवाई नहीं होती है, तो वे माननीय न्यायालय की शरण में जाएंगे। उनका कहना है कि यह मामला न केवल भ्रष्टाचार का है, बल्कि यह विभागीय प्रक्रियाओं और सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग का गंभीर उदाहरण भी है।
यह मामला मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण (MDDA) के कार्यों में व्याप्त भ्रष्टाचार और अनियमितताओं का एक स्पष्ट उदाहरण है। नाले की भूमि पर नक्शा पास करने जैसे कृत्य न केवल नियमों का उल्लंघन हैं, बल्कि यह विभागीय अधिकारियों की निष्पक्षता और ईमानदारी पर भी सवाल खड़ा करते हैं।
जांच का निष्पक्ष रूप से संचालन और दोषियों पर सख्त कार्रवाई ही जनता का विश्वास बनाए रखने का एकमात्र तरीका है।