मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी गुरुवार को सिद्धपीठ माँ सुरकंडा देवी मंदिर पहुंचे, जहाँ उन्होंने विधिपूर्वक पूजा-अर्चना कर प्रदेश और देश की सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना की। मुख्यमंत्री ने मंदिर की परिक्रमा करते हुए श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों से संवाद भी किया।
माँ सुरकंडा देवी मंदिर में मुख्यमंत्री का दौरा
- पूजा-अर्चना और परिक्रमा
- मुख्यमंत्री ने माँ सुरकंडा देवी के दर्शन कर पूजा की।
- मंदिर में परिक्रमा कर आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त किया।
- उन्होंने श्रद्धालुओं की सुखद यात्रा की कामना की।
- श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों से संवाद
- मुख्यमंत्री ने श्रद्धालुओं से बातचीत कर उनकी यात्रा का अनुभव जाना।
- श्रद्धालु मुख्यमंत्री को अपने बीच देखकर काफी उत्साहित नजर आए।
- कई श्रद्धालुओं ने मुख्यमंत्री के साथ सेल्फी भी ली।
- स्थानीय व्यापार और महिलाओं का समर्थन
- मुख्यमंत्री ने स्थानीय दुकानदारों से वार्ता कर उनकी समस्याओं को समझा।
- उन्होंने महिला स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं द्वारा निर्मित स्थानीय उत्पादों की खरीदारी कर उन्हें प्रोत्साहन दिया।
उत्तराखंड में शीतकालीन यात्रा का महत्व
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड देवभूमि है और हर मंदिर का अपना विशेष महत्व है।
- राज्य में शीतकालीन यात्रा शुरू की गई है, जो श्रद्धालुओं को आकर्षित कर रही है।
- प्रमुख मंदिरों को शीतकालीन यात्रा के लिए तैयार किया गया है।
- तैयारियों के परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का आगमन हो रहा है।
मुख्यमंत्री की नववर्ष की शुभकामनाएं
मुख्यमंत्री ने नववर्ष 2025 की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह साल प्रदेश के लिए खुशहाली और समृद्धि लेकर आए। उन्होंने शीतकालीन यात्रा को उत्तराखंड के पर्यटन और आध्यात्मिक महत्व को बढ़ाने वाला कदम बताया।
उपस्थित गणमान्य व्यक्ति
मुख्यमंत्री के साथ इस मौके पर कई अधिकारी और श्रद्धालु उपस्थित रहे:
- एसएसपी आयुष अग्रवाल
- एडीएम ए. के. पाण्डेय
- एएसपी जे. आर. जोशी
- अन्य गणमान्य और स्थानीय लोग।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का सिद्धपीठ माँ सुरकंडा देवी मंदिर दौरा न केवल आध्यात्मिक बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण रहा। उन्होंने न केवल पूजा-अर्चना कर प्रदेश की खुशहाली की कामना की, बल्कि स्थानीय व्यापार, महिला समूहों, और श्रद्धालुओं के साथ संवाद कर उनकी समस्याओं को समझने का प्रयास भी किया। यह दौरा उत्तराखंड की शीतकालीन यात्रा को बढ़ावा देने और आध्यात्मिक पर्यटन को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा।