सूडान मे गिर रहे थे बम के गोले, बरस रही थीं गोलियां: सुलगते सूडान से चंदौली लौटे युवक की आपबीती, कहा- सरकार ने बचाई जान

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चंदौली: सूडान में फैली हिंसा के बीच में हालातों से लड़ते हुए रविवार को किसी तरह घर लौटे चंदौली जिले के पीडीडीयू नगर के कसाब महाल निवासी जमील अहमद ने आपबीती सुनाई तो लोगों के रोंगटे खड़े हो गए। बताया कि अफ्रीकी देश सूडान में सेना और पैरामिलिट्री फोर्स में चल रही जंग में आम लोग मारे जा रहे हैं।

कहा कि 10 दिनों में सैकड़ों बार मौत से आमना-सामना हुआ। घर के बाहर बम को गोले गिर रहे थे। गोलियों की बौछार के बीच किसी तरह पैदल चलकर दूतावास पहुंचे। बताया कि भारत सरकार ने मेरी जान बचाई। भारत के रेस्क्यू ऑपरेशन की वजह से सुरक्षित घर वापस लौटा। घर पहुंचकर जमील ने केंद्र व प्रदेश सरकार को धन्यवाद दिया।

  • सात अप्रैल को सूडान पहुंचे थे जमील

कसाब महाल में मिनारा मस्जिद वाली गली में रहने वाले जमील अहमद अपने पिता बशीर अहमद की तीसरी संतान हैं। बशीर कपड़े सिलने का काम करते हैं। उनकी शागिर्दी में जमील ने भी कपड़े की कटिंग का काम सीखा और सउदी अरब चले गए। यहां से वर्ष 2015 में लौटे और घर पर रहने लगे। इसी वर्ष सूडान की एक फैशन कंपनी से बुलावा आया।

अच्छा पैकेज मिलने पर सात अप्रैल को सूडान के खारतून शहर के अकीकबीद मुहल्ले में पहुंचे। जमील ने बताया कि तीन चार दिन काम किया कि 15 अप्रैल से गृहयुद्ध शुरू हो गया। बम और गोलियों की बरसात शुरू हो गई। तीन दिन सात लोगों के साथ कमरे में ही बंद रहा। जब-जब बम के गोले गिरते तो बिल्डिंग थर्रा जाती और लगता मौत छूकर निकल गई। बिजली चली गई, पानी आपूर्ति बंद हो गई और खाना भी खत्म हो गया। ऐसे में मैने वीडियो बनाया और सोशल साइट पर डाल दिया।

इसी बीच भारतीय दूतावास ने संपर्क साधा और कहा कि वे दूतावास तक चले आए लेकिन घर से निकलना मुकिश्ल था। बाद में हम लोग जान बचाने के लिए निजी वाहन से वहां से दो घंटे की दूरी पर बेलावेद पहुंचे। लगा की जान बच जाएगी लेकिन यहां और तेज गोलीबारी शुरू हो गई। यहां से वाहन से हम लोग फिर से खारतून पहुंचे। कहा कि यहां नील नदी के पुल पर बस पर गोलियां बरसाई गई। किसी तरह 23 अप्रैल को इंद्रमान मिलिट्री बेस पहुंचे। यहां से एयरोप्लेन से जेद्दा पहुंचा, जहां से दिल्ली पहुंचा। यहां से यूपी भवन से भोजन कराकर वाराणसी और यहां से पीडीडीयू नगर घर पहुंचाया गया।

परिवार वालों में है जश्न का माहौल

सूडान से जमील अहमद के सुरिक्षत घर वापसी को परिवार वाले मौत के मुंह से वापस आना मान रहे हैं। परिवार वालों में खुशी का माहौल है। पिता बशीर अहमद, माता मेहरूनिशा, पत्नी दरख्शा परवीन, बेटियां राइमा, आरिफा पिता से लिपट कर खूब रोई। माता कहती है कि जब से सूडान में युद्ध की बात सुनी थी तब से घर में मातम पसरा था। उपर वाले का और सरकार का शुक्र है कि बेटा सुरक्षित वापस लौट आया।

 सूडान से वापस लौटे जमील अहमद ने बताया केंद्र और प्रदेश सरकार ने उसकी जान बचाई है। कहा कि जेद्दा में विदेश मंत्री एस जयशंकर पहुंचे और हालचाल लिया। यही नहीं वहां के सुल्तान ने भी हम लोगों का भव्य स्वागत किया। वहां से दिल्ली लौटने पर सरकारी अधिकारियों ने भोजन कराया और स्वागत किया। यहां से प्रदेश सरकार ने घर तक पहुंचाया। यही नहीं पल-पल हम लोगों का हाल चाल लेते रहे।
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