बड़ा खुलासा, SE ने किया अपने पद का दुरूपयोग, ऐसे हुआ खुलासा

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देहरादून – उत्तराखंड सरकार लगातार भ्रष्टाचार मिटाने और अधिकारियो के लिए सख्त है लेकिन सरकार की छवि उनके विभाग के कुछ असफर खराब करने में जुटे है | ये कहना गलत नहीं होगा क्युकी जो मामला सामने आया है उसे पढ़कर आप भी चौंक जाएंगे |

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नियमों को ताक पर रखकर SE ने किया भांजे की भर्ती

दरसल आपको बता दे की 17 मई 2022 को MDDA में PMU के जरिये MDDA के SE ने अपने भांजे को नौकरी पर रखा,जहा एक तरफ लोग बेरोजगार घूम रहे थेजहा एक तरफ ओर पूर्व में विधानसभा भर्ती ओर अन्य भर्ती घोटालो का दंश झेल चुका है तो वही दूसरी ओर एमडीडीए में SE राणा द्वारा अलग ही भर्ती का खेल खेला जा रहा है। तो उस समय SE राणा के द्वारा अपने रिश्तेदारों को PMU के जरिये अपने पद का दुरूपयोग करते हुए विभाग में भरा जा रहा था, आपको बता दे की मानको को ताक पर रखकर मनीष रावत को नौकरी दी गयी

RTI को दबाया, आयोग के हस्तछेप के बाद में भंडाफोड़

दरसल मामले की तहकीकात के लिए विपुल पाण्डेय के द्वारा एक RTI MDDA में लगाई गयी PMU भर्ती को लेकर जिसमे पहली बार RTI को गायब कर दिया गया उसके बाद जब प्रथम अपील हुआ था जिम्मेदार अधिकारी आधी अधूरी जानकारी देते हुए मामले से पल्ला झाड लिए लेकिन मामले में जब द्वितीय अपील हुई और मामला आयोग पंहुचा तो अधिकारी संकट में आ गए आनन फानन में कुछ लोगो को कागज भेजे जिसमे की मनीष रावत के डिप्लोमा का साल 2019 था वही PMU के अनुबंध को प्राधिकरण के अधिकारियों द्वारा दबा दिया गया था लेकिन जब मामले में सूचना आयोग की फटकार लगी तब पूरी MOU /एग्रीमेंट में कॉपी दी गयी जिसमे साफ साफ लिखा था की JE (सिविल ) के लिए कम से कम 5 वर्ष का अनुभव होना आवश्यक है | लेकिन यहां तो मामला उल्टा पड़ गया और फर्जी तरीके से नियुक्ति पर सवाल उठने लगे

फर्जी तरह से नौकरी पाने वाले पर दर्ज हो FIR और वसूला जाये पूरा पैसा

बता दे की मामले के खुलासे के बाद अपीलकर्ता विपुल पाण्डेय ने कहा है गलत तरीके से और लोगो को गुमराह करके नौकरी कर रहे मनीष रावत के खिलाफ मुकदमा होना चाहिए और उनसे अबतक जितनी सरकार से तनख्वाह ली है उसे भी वसूला जाये जिससे की समाज में ये सन्देश जाये की सरकार को बदनाम करने वालो की खैर नहीं है गलत करने वालो को सजा जरूर मिलेगी

गलत जानकारी देने वाले और मामले में लीपापोती करने वालो पर भी हो एक्शन

शिकायतकर्ता विपुल पाण्डेय ने कहा है की इस मामले की शिकायत कई बार सीएम पोर्टल और विभिन्न माध्ययो से अधिकारियों से की गयी थी लेकिन मामले में लापरवाही करते हुए और मामले को दबाते हुए जिम्मेदार अधिकारियो ने झूठ बोला और शिकायतकर्ता को गुमराह किया और झूठी रिपोर्ट लगाकर बताते रहे की मनीष रावत मानक को पूरा करते हुए विभाग में कार्यरत है अब उन अधिकारियों पर भी गाज गिरनी चाहिए जिन्होने इस फर्जीवाड़े में मनीष रावत का साथ दिया है

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