सुन कर अटपटा जरूर लगा लेकिन हक़ीक़त यही है़ की भ्रष्ट्चार के मामले में उत्तराखण्ड सबसे तेजी सें आगे बढ़ रहा है़ लेकीन महंगाई और भ्रष्ट्चार को रोकने के दावे करनें वाली सरकार के वादे विफल साबित हो रही है़। ये हम नही कह रहें है़ बल्कि जमीनी सच्चाई ये चीख चीख कर बयां कर रही है़। ताजा मामला उत्तराखण्ड से सामने आया है़ जहा पर जेई प्रशांत सेमवाल जलनिगम से MDDA में डेपुटेशन पर है़ और लोगों क़ा आरोप है़ कि ये भ्रष्ट्चार में पूरी तरह संलिप्त है़ और यही नही भ्रटाचार में संलिप्तता के साथ लोगों को बहुत परेशान करते है़ ऐसा लोगों नें आरोप लगाया है़। सूत्रों नें बताया है़ कि पूरे MDDA में सबसे ज्य़ादा अवैध निर्माण कार्य इन्हीं के इलाको से कराए जा रहें है़। मिली जानकारी के मुताबिक अपने विभाग जलनिगम में एई पर प्रमोशन हो गया है़ लेकीन अथॉरिटी में अपने गलत और भ्रष्ट काम को जारी रखने के लिए वो अपने विभाग वापस नही जा रहें है़,यही नही गलत तरीके से कमाए गए पैसे के दम पर वो अपनी मर्जिग MDDA में करवाने के लिए लगे हुए है़। इसमें गौर तलब है़ की उनका डेपुटेशन जेई पर हुआ था पर उनकी मर्जिग एई पद पर कराई जा रही है़ जो कि सरासर नियमों की धज्जिया उड़ाकर मानक के विपरीत है़। लोगो क़ा कहना है़ कि इनको इनके अपने विभाग में जल निगम में तुरंत वापस भेजना चाहिए औऱ कार्यवाई भी जरूरी है । इससे इनके एई पद पर मर्जिग होने पर कई सालों सें जेई पद पर काम कर रहें है़ उनके हित भी प्रभावित होते है़।अतः उतराखंड की धामी सरकार प्रमोशन के बाद अपने विभाग में प्रशांत सेमवाल को अपने विभाग में वापस ना भेजना और इनके खिलाफ जांच के आदेश कब जारी करेगी। साथ ही साथ उन सब अधिकारियों की भी जांच होनी चाहिए जिन्होने जेई को एई पद पर मर्जिग के लिए अप्रूवल दिया है़ । देखना है़ कि मामले में क्या धामी सरकार के आलाअफसर कार्यवाई करेंगे यां चुप्पी साधकर बैठेंगे ये अपने आप में बड़ा सवाल है़॥