जी हा आपको बता दे की प्रदेश की राजधानी देहरादून में अवैध प्लाटिंग का धंधा खुलेआम जारी है। हर तरफ कार्यवाई हो रही है लेकिन एक तरफ अधिकारी शांत बैठे है वो है कला गाँव शिव मंदिर के पास श्याम सुंदर गोयल और वीरेश जैन की अवैध प्लॉटिंग वाली जगह जिसे भू माफिया पहाड़ों का सीना चिर रहे है हरे भरे पेड़ काट रहे है। मजेदार बात यह है कि शिकायतों के बावजूद भी एमडीडीए के जिम्मेदार AE सबकुछ जानते हुए भी आंखें मूंदे हुए है। कार्रवाई के नाम पर केवल खानापूर्ति जारी है अपनी टोपी दूसरे के सिर पर चिपकाने के अलावा बाज नहीं आ रहे है जिससे अवैध कालोनी माफियाओं को बढ़ावा मिल रहा है। वहीं राजस्व की भी बड़ी हानि हो रही है।
कार्रवाई के नाम पर क्यों मिल रही छूट ?
देहरादून उत्तराखंड प्रदेश की राजधानी है लेकिन इन दिनों यहां मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण इलाके में अवैध प्लॉटिंग माफिया बड़े स्तर पर सक्रिय है। यहां अवैध रूप से पहाड़ों को छलनी कर पेड़ को काटकर अवैध प्लाटिंग का धंधा किया जा रहा है। सब कुछ खुलेआम हो रहा है। इसके बावजूद भी एमडीडीए के जिम्मेदार अधिकारी आंखें मूंदे हुए है आरोप है इसके बदले अधिकारी मोटी रकम खाकर बैठे है । स्थानीय लोगों की मानें तो यह सब एमडीडीए के अफसरों से मिली भगत के बिना संभव नही है।
एमडीडीए के इन इलाकों में माफिया सक्रिय
मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण के तहत आने वाला कुठाल गेट हो या पुरुकुल या शिव मंदिर के पास का इलाका सब जगह अवैध प्लाटिंग का धंधा जोरों पर है। बताया जाता है उक्त अवैध प्लाटिंग को लेकर मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई गई थी कई बार अधिकारियों को शिकायत की गयी लेकिन अधिकारी शिकायत की जांच के नाम पर खानापूर्ति कर शांत हो गए। मजे की बात ये है की प्लॉटिंग ध्वस्त करने की बजाए पुलिस को और वन विभाग को पत्र लिखकर कार्यवाई के लिए बोला जा रहा है यानी की मामला साफ है की प्राधिकरण भूमाफियो के खिलाफ डरा हुआ और कार्यवाई करने से बचता नजर आ रहा है,और वही मौखिक रूप से अधिकारी प्लॉटिंग वालो से कहते है की अवैध प्लॉटिंग न करिये क्युकी कागजी कार्यवाई करनी हमारे बस की बात नहीं है अब देखना है की इस मामले में एई महोदय के द्वारा क्या कार्यवाई करवाई जाती है। कार्रवाई नही होने की वजह से अवैध रूप से प्लाटिंग करने वाले माफियाओं के हौसलें बुलंद है। हरे पेड़ खुलेआम कट रहे है
शिव मंदिर इलाके में आज भी जारी अवैध प्लाटिंग
प्रदेश की राजधानी क्षेत्र में भूमाफियाओं को हौसले इतने बुलंद है कि एमडीडीए के नोटिस के बाद भी वें अवैध रूप से खुलेआम प्लाटिंग कर रहे है। शिव मंदिर के पास के इलाके में पूर्व में एमडीडीए ने श्याम सुंदर गोयल और वीरेश जैन को अवैध प्लाटिंग करने के मामले में नोटिस जारी किया था । एमडीडीए अफसरों ने नोटिस तो जारी कर दिए लेकिन कार्रवाई नही की। जिसका नतीजा यह है कि वह आज भी खुलेआम शिव मंदिर इलाके में प्लाटिंग कर रहे है। स्थानीय लोगों का कहना है कि एमडीडीए अफसरों व अवैध प्लाटिंग माफियाओं के बीच अच्छी सांठगांठ है। जिस वजह से उन पर कार्रवाई नही होती। कार्रवाई के नाम पर सिर्फ नोटिस जारी होती है। यही वजह है कि वें धड़ल्ले से खुलेआम अवैध प्लाटिंग कर रहे है।
माफियाओं के सामने, अफसर बौने साबित !
बता दे की शिकायत के बाद पकड़ में आई उक्त इलाकों की प्लाटिंग को ध्वस्त की कार्रवाई का खाका बना था लेकिन मामला कमिशनर के यहाँ स्टे का हवाला देकर शांत कर दिया लेकिन हकीकत ये थी की उक्त मामलो में कोई स्टे तो था ही नहीं ये कहना गलत नही होगा एमडीडीए क्षेत्र में प्लॉटिंग माफिया अफसरों पर भारी है। यही वजह है कि प्रदेश की राजधानी जैसे इलाके में अफसर अवैध प्लाटिंग को नही रोक पा रहे तो प्रदेश भर में क्या स्थिति होगी, सिर्फ अंदाजा ही लगाया जा सकता है।
अवैध प्लाटिंग से ये होता है नुकसान
अवैध प्लाटिंग में प्रॉपर्टी डीलर प्लॉट बेचकर अधिक से अधिक मुनाफा कमाना चाहते हैं, इसलिए वे या तो सड़क की पर्याप्त चौड़ाई, पार्क, नाली निर्माण, मंदिर निर्माण आदि के लिए जगह नहीं छोड़ते या फिर उनका आकार मानक से कम होता है। लेआउट पास कराने पर संबंधित भूस्वामी को एमडीडीए में अच्छी खासी रकम चार्ज जमा करानी होती है, इसलिए वह नियमों का उल्लंघन कर प्लॉट बेचते हैं। जब लोग ऐसे प्लॉट पर भवन बनाते हैं, तो उन्हें विकास शुल्क के साथ सब-डिवीजन चार्ज भी देना पड़ता है। आवासीय और व्यावसायिक के लिहाज से यह चार्ज सर्किल रेट का सात फीसदी तक होता है। आबादी के नजदीक ऐसे प्लॉट में तो सब-डिवीजन चार्ज देकर भवन का नक्शा पास कराया जा सकता है, लेकिन नए क्षेत्रों में जहां सड़क आदि की उचित व्यवस्था नहीं है, वहां नक्शा पास कराना मुश्किल होता है। प्रॉपर्टी डीलर कृषि भूमि पर भी प्लॉटिंग करते हैं और ऐसे प्लॉट का लेआउट पास नहीं होता। इसलिए यहां भवन निर्माण के लिए नक्शा भी पास नहीं होता। जब तक यह बात सामने आती है, तब तक लोग अपनी मेहनत की कमाई बर्बाद कर चुके होते हैं।
मामले में क्या कहते है आवास विकास मंत्री
इस मामले को लेकर ज़ब आवास विकास मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल से बात की गयी तो उन्होंने कहा की मामला मेरे संज्ञान में नहीं है लेकिन अगर ऐसा मामला है पहाड़ कट रहा है तो चिंता का विषय है और इसपर उचित कार्य