Uttarakhand @2025: नदियां वरदान, नियमों की अनदेखी से हो रहा नुकसान, मानसून के समय बिगड़ रहे हालात

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रिपोर्ट: आकाश

 

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प्रदेश की नदियां वरदान दे रही हैं। नदियों से पेयजल और सिंचाई के लिए पानी तो मिल ही रहा है साथ ही नदियों से घर रोशन (बिजली उत्पादन) होने से लेकर रोजगार, राजस्व भी मिल रहा है। पर कई बार नदियों से सुरक्षित दूरी पर निर्माण न करने जैसी नियमों की अनदेखी से खासकर मानसून के समय हालात भी बिगड़ रहे हैं।

 

 

राज्य बनने के बाद टिहरी बांध से बिजली उत्पादन का काम शुरू हुआ, कई नए बांध के लिए कदम बढ़े। इसके साथ ही नदियों से रोजगार और पर्यटन के लिए नए विकल्प भी बढ़े हैं। लहरों की सवारी के रोमांच को महसूस करने के लिए ऋषिकेश से लेकर रामनगर में कोसी नदी तक में लोग पहुंचे। इससे रोजगार भी सृजित हुआ है

 

 

 

नदियां राज्य की आर्थिकी को भी मजबूत करने में खासी मददगार साबित हो रही हैं। केवल वन निगम आरक्षित वन क्षेत्र में आने वाली 13 नदियों में खनिज निकासी कर करीब दो अरब का राजस्व एकत्र कर रहा है। चंपावत, पिथौरागढ़ जिलों में कृत्रिम झील का निर्माण किया गया है, जिससे पेयजल के साथ ही पर्यटन को भी बढ़ावा मिल रहा है।

 

 

 

मानसून में मच रही तबाही

मानसून में नदियां परेशानी का सबब बन रही हैं। तेज और कम समय में अधिक बारिश होने के कारण नदियों का अचानक बढ़ा जलस्तर तबाही मचा रहा है। इसमें नदियों के किनारे में सुरक्षित दूरी पर निर्माण की बात की अनदेखी करने और नदियों के पुराने मार्ग पर लौटने के कारण बर्बादी हो रही है। इसको लेकर सरकारी विभाग भी करीब आंख बंद किए हुए हैं। इसके अलावा ऊधमसिंह नगर व हरिद्वार जिले बाढ़ प्रभावित रहे हैं। जहां पर नदियों के पानी से बाढ़ नहीं आ रही है, वहां बरसात के पानी के कारण हो रहे जलभराव से बाढ़ जैसे हालात बन रहे हैं। इसी मानसून में देहरादून में सड़कें नदियां बनी हुई थीं। जल निकासी वाले स्थलों पर अतिक्रमण और कई बार जवाबदेह सरकारी विभागों की लापरवाही से समस्या बढ़ी भी है।

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