हमारी बच्ची चलकर आई थी…आपने हमें उसकी लाश दी, लाडली के ताऊ का दर्द; छलकीं लोगों की आंखें

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रिपोर्ट: आकाश

 

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हमारी बच्ची पिथौरागढ़ से चलकर हंसी-खुशी हल्द्वानी आई थी। आपने हमें उसकी लाश लाकर दी। बेटी के शरीर पर सिगरेट से दागे हुए निशान आज भी हमारे दिल को जला देते हैं। अगर हम अपनी बेटी को न्याय दिलाए बगैर मर गए तो प्रदेश की हर बेटी का यही हश्र होगा…।”” जनसभा के दौरान लाडली के ताऊ के इन शब्दों ने वहां मौजूद लोगों की आंखें नम कर दी। इसके बाद सबने एक स्वर में बेटी हम शर्मिंदा हैं तेरी कातिल जिंदा हैं के नारे लगाए।

क्या उत्तराखंड में कोई काबिल वकील नहीं

लाडली की ताऊ ने कहा कि जब उनकी बेटी की निर्मम हत्या हुई तब कांग्रेस की सरकार को झुकना पड़ा था। लाडली के साथ पूरा कुमाऊं खड़ा हो गया था। हरीश रावत ने उन्हें मदद के लिए तीन लाख का चेक भेजा जिसे उन्होंने ठुकरा दिया था। उन्होंने सरकार से सवाल पूछा कि क्या उत्तराखंड में कोई काबिल वकील नहीं हैं जो मध्यप्रदेश से केस लड़ने के लिए वकील लाने पड़ रहे हैं। सरकारी वकील बनाने के लिए राज्य में परीक्षाएं होनी चाहिए ताकि कोई सेटिंग-गेटिंग से नेता की पत्नी व बच्चे वकील न बन पाएं। यदि ऐसा नहीं होगा तो हर केस में आरोपी छूटते रहेंगे।

 

 

 

सरकार पर आंदोलन तोड़ने की कोशिश का आरोप

लाडली के ताऊ ने आरोप लगाया कि सरकार आंदोलन तोड़ने की कोशिश कर रही है जबकि जरूरत है कि सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की जाए। लाडली के ताऊ ने यह तक कह दिया कि सत्ताधारी पार्टी का कोई नेता बेटी के समर्थन में नहीं पहुंचा। कहा कि कहीं कोई भाजपा का नेता तो हत्यारा नहीं है। अगर नहीं है तो उन्हें आने में क्या परेशानी है। एक सत्ताधारी विधायक का नाम लेते हुए उन्होंने कहा कि बेटी के लिए आज खड़े क्यों नहीं हैं। लाडली की हत्या अख्तर अली ने नहीं की तो फिर हत्यारा कौन था।

पुलिस से धक्का-मुक्की, महिलाएं सड़क पर धरने पर बैठीं

लोगों की बढ़ती भीड़ को देखते हुए पुलिस और खुफिया एजेंसियों के हाथ पैर फूलने लगे। पुलिस ने आक्रोशित लोगों को बताया कि सिटी मजिस्ट्रेट गोपाल सिंह चौहान ज्ञापन लेने के लिए बुद्धपार्क पहुंच रहे हैं तो वे नहीं माने। भीड़ ने जुलूस निकालने की तैयारी की तो पुलिस ने गेट बंद कर उन्हें रोकने का प्रयास किया। इससे लोग भड़क गए। पहाड़ी आर्मी के संयोजक हरीश रावत गेट के ऊपर चढ़े और उसे फांदकर बाहर आ गए। इसके बाद पुलिस को मजबूरन गेट खोलना पड़ा। इस दौरान भीड़ की पुलिस के साथ धक्का-मुक्की हुई। साथ ही बाहर निकलीं कुछ महिलाएं सड़क पर धरने पर बैठ गईं।

 

किरकिरी के बाद समर्थन देने पहुंचे कांग्रेसी नेता

बुद्धपार्क में जनसभा के दौरान लोगों ने कांग्रेस और भाजपा दोनों को आड़े हाथों लिया। आरोप लगाया कि कोई उन्हें समर्थन देने नहीं आया। जैसे ही जुलूस सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय के लिए निकला तो कांग्रेस विधायक सुमित हृदयेश भी पहुंच गए। सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय में पहुंचकर अपना समर्थन दिया और इस लड़ाई में परिवार के साथ खड़ा होने की बात कही। यहां ललित जोशी भी नजर आए। सिटी मजिस्ट्रेट गोपाल सिंह चौहान ने बताया कि पुलिस ने इस मामले में पुनर्विचार याचिका दायर करने की तैयारी शुरू कर दी है।

ये था पूरा मामला

नवंबर 2014 में पिथौरागढ़ से लाडली परिवार के साथ हल्द्वानी में एक विवाह समारोह में शामिल होने के लिए आई थी। शीशमहल स्थित रामलीला ग्राउंड में आयोजित समारोह से छह साल की मासूम अचानक से लापता हो गई। छह दिन बाद उसका शव गौला नदी से बरामद हुआ। जांच में पता चला कि टॉफी का लालच देकर मासूम को अगवा किया गया और फिर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। इस घटना से पूरा कुमाऊं दहल गया और लोगों ने सड़कों पर उतरकर अपना गुस्सा निकाला। घटना के आठ दिन बाद पुलिस ने मुख्य आरोपी अख्तर अली को चंडीगढ़ से पकड़ा। उसकी निशानदेही पर प्रेमपाल और जूनियर मसीह को गिरफ्तार किया गया। मार्च 2016 में हल्द्वानी की एडीजे स्पेशल कोर्ट ने अख्तर अली को सामूहिक दुष्कर्म और हत्या का दोषी करार देकर फांंसी की सजा सुनाई। प्रेमपाल को पांच साल की सजा सुनाई गई। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। छह दिन पहले सुप्रीम आदेश में अख्तर को बरी कर दिया गया

 

 

अंकिता भंडारी और योगा ट्रेनर के लिए भी न्याय की मांग

लाडली को इंसाफ दिलाने के लिए पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, बागेश्वर, चंपावत के अलावा हल्द्वानी से भारी संख्या में लोग पहुंचे। लोगों के हाथों में रिव्यू पिटीशन लिखे पोस्टर थे। अंकित भंडारी और हल्द्वानी की योगा ट्रेनर को न्याय दिलाने की मांग के साथ ही महिला उत्पीड़न बंद करो के पोस्टर लेकर भी लोग पहुंचे थे।

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