देहरादून, 10 दिसंबर। कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ देहरादून के सेंट्रियो मॉल में आयोजित कार्यक्रम के दौरान फिल्म “द साबरमती रिपोर्ट” का अवलोकन किया। इस मौके पर उन्होंने फिल्म को 2002 के गोधरा कांड के वास्तविक तथ्यों को उजागर करने वाला महत्वपूर्ण प्रयास बताया।
फिल्म का उद्देश्य और मंत्री का बयान
कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि “द साबरमती रिपोर्ट” दशकों से प्रचारित भ्रामक “नैरेटिव” का पर्दाफाश करती है और गोधरा कांड के वास्तविक सच को सामने लाने का प्रयास करती है।
- उन्होंने कहा, “यह फिल्म हर देशवासी को देखनी चाहिए ताकि गोधरा कांड की सच्चाई को समझा जा सके।”
- उन्होंने फिल्म के निर्देशक, निर्माता और कलाकारों को बधाई देते हुए इसे सत्य को उजागर करने की दिशा में साहसिक कदम बताया।
- मंत्री ने फिल्म की सफलता की कामना करते हुए कहा कि यह भारतीय समाज को गोधरा कांड के बारे में सटीक और वास्तविक जानकारी प्रदान करेगी।
कार्यक्रम में मौजूद प्रमुख व्यक्ति
इस कार्यक्रम में भाजपा कार्यकर्ताओं और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भी भाग लिया।
उपस्थित लोग:
- गणेश जोशी की धर्मपत्नी निर्मला जोशी।
- मंडल अध्यक्ष प्रदीप रावत।
- महानगर महामंत्री सुरेंद्र राणा।
- ज्योति कोटिया, आर. एस. परिहार, निरंजल डोभाल, सतेंद्र नाथ, भूपेंद्र कठेत, समीर पुंडीर, योगेश घाघड़, सारिका खत्री, भावना चौधरी।
“द साबरमती रिपोर्ट” का महत्व
- गोधरा कांड की सच्चाई:
यह फिल्म 2002 के गोधरा कांड से जुड़े वास्तविक तथ्यों और घटनाओं को दर्शाती है, जो लंबे समय से विवाद और गलतफहमियों का केंद्र रही हैं। - भ्रामक नैरेटिव का खंडन:
दशकों तक राजनीतिक स्वार्थों के लिए प्रचारित भ्रामक कहानियों और षड्यंत्रों को उजागर करना इस फिल्म का मुख्य उद्देश्य है। - सामाजिक जागरूकता:
फिल्म भारतीय समाज में सत्य और न्याय के प्रति जागरूकता पैदा करने का प्रयास करती है।
कैबिनेट मंत्री का संदेश
मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि राजनीतिक स्वार्थ के लिए बनाए गए षड्यंत्रों का सच जानना हर भारतीय का कर्तव्य है।
- उन्होंने कार्यकर्ताओं से आग्रह किया कि वे इस फिल्म को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने में योगदान दें।
- साथ ही उन्होंने कहा कि “सच्चाई को समझना और प्रचारित करना हमारे समाज की मजबूती का आधार है।”
कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी और भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा “द साबरमती रिपोर्ट” का अवलोकन केवल एक फिल्म देखने तक सीमित नहीं था, बल्कि यह भारतीय समाज में सत्य को उजागर करने के प्रति एक सामूहिक प्रतिबद्धता का प्रतीक था।
यह फिल्म उन विवादों और भ्रांतियों को दूर करने का प्रयास है, जिन्होंने गोधरा कांड को लेकर देश में विभाजन की स्थिति पैदा की।