देहरादून- उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने प्रदेश की धामी सरकार और केंद्र की भाजपा सरकार पर गंगा नदी की पवित्रता से खिलवाड़ करने का गंभीर आरोप लगाया है। दसौनी ने कहा कि गंगा में गटर का पानी मिलाना न केवल करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का अपमान है, बल्कि यह सनातन संस्कृति पर प्रहार भी है।
दसौनी ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की हालिया टिप्पणियों का हवाला देते हुए कहा कि गंगा में सीवेज का पानी मिलाने की समस्या इतनी गंभीर हो गई है कि श्रद्धालुओं का स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। उन्होंने कहा, “जिनको माँ गंगा ने बुलाया है, उन्होंने गंगा में गटर का पानी मिलाया है।”
गंगा के प्रदूषण पर एनजीटी की सख्त टिप्पणियां
गरिमा दसौनी ने एनजीटी की 5 नवंबर 2024 की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि गंगा का उद्गम स्थल गंगोत्री तक प्रदूषित पाया गया है।
- गंगोत्री के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) से गंगा में छोड़े जा रहे पानी की जांच में FC 540 MPN/100ml पाया गया। यह गंगा के पवित्र जल की शुद्धता पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।
- उत्तराखंड सरकार के शपथ पत्र के अनुसार, राज्य में 512.23 एमएलडी गंदा पानी निकलता है, जबकि केवल 316.87 एमएलडी पानी का ट्रीटमेंट होता है।
- 195.36 एमएलडी गंदा पानी बिना किसी ट्रीटमेंट के सीधे गंगा में मिल रहा है।
- सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) की रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है कि गंगा से लगे 48 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट मानकों के अनुरूप नहीं हैं।
श्रद्धालुओं की आस्था पर हमला
दसौनी ने एनजीटी के एक और आदेश का हवाला दिया, जिसमें 9 फरवरी 2024 को उत्तराखंड के अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए गए थे। उन्होंने कहा, “गंगा के प्रदूषण को रोकने में डबल इंजन की सरकारें पूरी तरह विफल रही हैं।”
- एनजीटी ने यहां तक सवाल उठाया कि गंगा तटों पर बोर्ड क्यों नहीं लगाए जाते, जो बताते हों कि गंगा का पानी नहाने और पीने के योग्य नहीं है।
- प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में “नमामि गंगे” जैसी परियोजनाओं के बावजूद गंगा की स्थिति लगातार खराब होती जा रही है।
सरकार से पूछे चार तीखे सवाल
गरिमा दसौनी ने राज्य सरकार से निम्नलिखित सवाल पूछे:
- क्या मुख्यमंत्री धामी यह सुनिश्चित करेंगे कि गंगा का जल स्नान और आचमन के लिए सुरक्षित होगा?
- क्या राज्य सरकार हाई पॉवर कमिटी गठित कर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और गंगा में मिलाए जा रहे नालों की सटीक रिपोर्ट एनजीटी को देगी?
- क्या सरकार कांग्रेस की चिंताओं का संज्ञान लेकर श्रद्धालुओं की आस्था को बचाने के लिए त्वरित और प्रभावी कदम उठाएगी?
- नमामि गंगे परियोजना के तहत गंगा सफाई के लिए पिछले 10 वर्षों में उत्तराखंड को कितना बजट मिला और उसका उपयोग कैसे हुआ?
गंगा की पवित्रता का सवाल
दसौनी ने कहा कि गंगा नदी केवल एक जलधारा नहीं है, बल्कि यह भारत के करोड़ों लोगों की आस्था और संस्कृति का प्रतीक है।
- उन्होंने भाजपा सरकारों पर हिंदुत्व की आड़ में आस्थाओं का अनादर करने का आरोप लगाया।
- गंगा की शुद्धता को बनाए रखना न केवल पर्यावरणीय आवश्यकता है, बल्कि यह हमारी वैदिक और सांस्कृतिक परंपरा को बचाने का भी विषय है।
कांग्रेस का रुख
दसौनी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी गंगा की पवित्रता और श्रद्धालुओं की आस्था को बचाने के लिए हमेशा मुखर रही है।
- यदि राज्य सरकार गंगा की सफाई और सुरक्षा को लेकर आवश्यक कदम नहीं उठाती, तो कांग्रेस इस मुद्दे पर जन आंदोलन शुरू करेगी।
- कांग्रेस का यह प्रयास गंगा को प्रदूषण मुक्त करने और जनता के स्वास्थ्य और आस्था की रक्षा के लिए होगा।
गरिमा दसौनी के इन बयानों ने गंगा की पवित्रता को लेकर भाजपा सरकारों की नीतियों और कार्यों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एनजीटी की टिप्पणियों के आलोक में यह साफ है कि गंगा की सफाई के लिए की जा रही कोशिशें नाकाफी साबित हो रही हैं।
गंगा, जो करोड़ों लोगों की आस्था और पहचान है, उसे बचाने के लिए ठोस और प्रभावी कदम उठाना अब समय की मांग है।