उत्तराखंड में निकाय चुनाव की तैयारियों ने राजनीतिक हलचल तेज कर दी है। भाजपा ने इन चुनावों में जीत दर्ज करने के लिए कमर कस ली है, जबकि कांग्रेस ने चुनाव में देरी को लेकर सरकार पर निशाना साधा है।
बीजेपी की तैयारियां
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा कि पार्टी निकाय चुनाव के लिए पूरी तरह से तैयार है। उन्होंने दावा किया कि भाजपा सभी नगर निगमों में जीत सुनिश्चित करने के लिए रणनीति बना रही है।
- जिलों के प्रभारी होंगे घोषित: भाजपा जल्द ही सभी जिलों के लिए प्रभारी नियुक्त करेगी।
- प्रत्याशियों का चयन: प्रत्याशी चयन के लिए जिलों से फीडबैक लिया जा रहा है। भट्ट के अनुसार, सभी दावेदारों को लेकर जिलों से प्राप्त फीडबैक के आधार पर ही उम्मीदवारों का चयन किया जाएगा।
- चुनाव की समय सीमा: संभावना जताई जा रही है कि जनवरी के दूसरे सप्ताह तक निकाय चुनाव संपन्न हो जाएंगे।
कांग्रेस का आरोप
कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री नवीन जोशी ने भाजपा पर तंज कसते हुए कहा कि उत्तराखंड सरकार चुनाव कराने में देरी कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि,
- चुनाव में देरी का आरोप: भाजपा सरकार समय पर चुनाव कराने को लेकर गंभीर नहीं है।
- जनता को गुमराह करने का आरोप: कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार निकाय और पंचायत चुनावों को टालने की कोशिश कर रही है। नवीन जोशी का कहना है कि दिसंबर में भी चुनाव होने की संभावना कम है।
राजनीतिक माहौल
निकाय चुनाव के मद्देनजर भाजपा और कांग्रेस के बीच बयानबाजी से राज्य का राजनीतिक तापमान बढ़ गया है।
- भाजपा जहां अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए रणनीति तैयार कर रही है, वहीं कांग्रेस सरकार पर जनता को गुमराह करने का आरोप लगा रही है।
- इन चुनावों में न केवल नगर निगम, बल्कि भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए जनता का भरोसा जीतना अहम होगा।
जनवरी में चुनाव की संभावना
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चुनाव प्रक्रिया जनवरी के दूसरे सप्ताह तक पूरी हो सकती है। हालांकि, कांग्रेस द्वारा समय पर चुनाव न होने के आरोपों से यह मुद्दा और गरमा सकता है।
उत्तराखंड निकाय चुनाव न केवल राज्य के नगर निगमों की तस्वीर बदल सकते हैं, बल्कि भाजपा और कांग्रेस के बीच राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई का केंद्र भी बन गए हैं। अब देखना यह होगा कि भाजपा अपनी तैयारियों को कितनी सफलता से अमल में ला पाती है और कांग्रेस जनता का कितना भरोसा जीत पाती है।