उत्तराखंड के पूंजीगत व्यय और विकास परियोजनाओं में तेजी लाने के उद्देश्य से अपर मुख्य सचिव वित्त, आनंद बर्द्धन ने वीर चंद्र सिंह गढ़वाली सभागार में समीक्षा बैठक आयोजित की। इस बैठक में विभिन्न विभागों की पूंजीगत परिव्यय की प्रगति, स्पेशल असिस्टेंस टू स्टेट्स फॉर कैपिटल इन्वेस्टमेंट (SASCI) योजना, और बजट भाषण में निर्दिष्ट लक्ष्यों पर चर्चा की गई।
प्रमुख निर्देश और निष्कर्ष
- समयबद्ध लक्ष्य प्राप्ति
अपर मुख्य सचिव ने पूंजीगत विकास के लक्ष्यों को तय समय में पूरा करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि गत वर्ष की तुलना में 10% अधिक व्यय सुनिश्चित करने पर भारत सरकार की ओर से प्रोत्साहन राशि (इंसेंटिव) मिलती है। - प्रगति और इंसेंटिव
पिछली पूंजीगत प्रगति के आधार पर राज्य को 206 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि मिली है। इसी तरह, दिसंबर 2024 तक 7,000 करोड़ रुपये का व्यय पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जो आगामी इंसेंटिव प्राप्ति की राह आसान बनाएगा। - विभागीय योगदान
- लोक निर्माण विभाग: 1,000 करोड़ रुपये व्यय करने का आश्वासन।
- सिंचाई विभाग: 900 करोड़ रुपये के लक्ष्य की पूर्ति।
- ग्राम्य विकास विभाग: पीएमजीएसवाई के तहत तीसरी किस्त प्राप्त करने का प्रयास।
- अन्य विभागों (ऊर्जा, शहरी विकास, आवास, पेयजल आदि) ने पूंजीगत व्यय में तेजी लाने का आश्वासन दिया।
- अन्य निर्देश
- बाह्य सहायतित परियोजनाओं की प्रगति और रिम्बर्समेंट की समीक्षा के लिए अलग बैठक करने के निर्देश।
- PM गतिशक्ति के माध्यम से परियोजनाओं की निगरानी के लिए आईटीडीए और योजना विभाग को आवश्यक कार्यवाही का निर्देश।
- मेगा प्रोजेक्ट्स के लिए Expenditure Plan तैयार कर वित्त विभाग को सौंपने की आवश्यकता।
- बजट भाषण और केंद्र पोषित योजनाएं
- आगामी बजट भाषण में निर्दिष्ट लक्ष्यों की पूर्ति की सुनिश्चितता के लिए सभी विभागों को निर्देश दिए गए।
- केंद्र पोषित योजनाओं के बेहतर प्रदर्शन से अधिकतम अनुदान प्राप्त करने पर बल दिया गया।
उपस्थित अधिकारी और विभाग
बैठक में कई वरिष्ठ अधिकारी, सचिव, और विभिन्न विभागाध्यक्षों ने भाग लिया। प्रमुख अधिकारियों में सचिव पेयजल, गृह, ग्राम्य विकास, लोक निर्माण, सिंचाई, वित्त, विद्यालयी शिक्षा, और आपदा प्रबंधन शामिल थे।
यह समीक्षा बैठक राज्य की विकास परियोजनाओं में तेजी लाने और केंद्र सरकार से अधिक प्रोत्साहन राशि प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। विभागीय समन्वय और समयबद्ध कार्यवाही से राज्य अपने पूंजीगत व्यय लक्ष्यों को सफलतापूर्वक पूरा करने में सक्षम होगा।