Kailash Gahlot Resignation : दिल्ली में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने हैं लेकिन उससे पहले रविवार (15 नवंबर) को आप के नेता और मंत्री कैलाश गहलोत ने इस्तीफा देकर सबको चौंका दिया. चुनाव से पहले गहलोत का इस्तीफा AAP के लिए किसी बड़े झटके की तरह है. हालांकि लोकसभा चुनाव 2024 के बाद से ही उनके पार्टी छोड़ने की अटकलें लगाई जा रही थीं.
AAP के सूत्रों ने कहा कि दो बार के विधायक और वरिष्ठ मंत्री कैलाश गहलोत के इस्तीफे से विधानसभा चुनावों में जाट मतदाता प्रभावित हो सकते हैं और महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के पार्टी के प्रयासों में बाधा आ सकती है. कैलाश गहलोत के इस्तीफे से आम आदमी पार्टी की कई सीटों पर मुश्किलें बढ़ सकती हैं. दिल्ली में 10 फीसदी जाट वोटर हैं. दिल्ली में नजफगढ़, मुंडका, नांगलोई, समेत कई ऐसी सीटें हैं जहां जाट वोटों का दबदबा है.
सूत्रों की मानें तो दिल्ली में ट्रांसपोर्ट, डब्ल्यूसीडी, गृह, प्रशासनिक सुधार और आईटी जैसे अहम विभागों की जिम्मेदारी संभालने वाले कैलाश गहलोत आने वाले दिनों में बीजेपी में शामिल हो सकते हैं और अपनी वर्तमान सीट नजफगढ़ से विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं.
गहलोत ने आप की केंद्र सरकार के खिलाफ लगातार लड़ाई और लोगों से किए गए वादों को पूरा करने पर कम ध्यान देना, सीएम हाउस के नवीनीकरण पर बनी स्थिति को इस्तीफे का कारण बताया. लेकिन आप के सूत्रों ने दावा किया कि वह कुछ समय से पार्टी के वरिष्ठ नेतृत्व से नाखुश और असंतुष्ट थे, खासकर जब उन्हें नजरअंदाज कर दिया गया और आतिशी को सीएम के रूप में पदोन्नत किया गया और उनके पास मौजूद कानून और राजस्व जैसे अहम विभाग उनके पास चले गए.
एक अन्य नेता ने कहा, “पहली बार विधायक बनी आतिशी को महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी के साथ पदोन्नत किए जाने के बाद, दिल्ली कैबिनेट में अनुभवी और वरिष्ठ मंत्री गहलोत को लगा कि उन्हें नजरअंदाज किया गया है.” कुछ लोगों का कहना है कि गहलोत को उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना के करीबी व्यक्ति के रूप में देखा जाता था, जिन्होंने गहलोत के साथ ट्रांसपोर्ट विभाग के कई कार्यक्रमों में हिस्सा लिया था.
कैलाश गहलोत ने कई महत्वपूर्ण योजनाओं जैसे “पिंक पास”, “मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना”, “इलेक्ट्रिक वाहन नीति”, और बस मार्शल और हाई-टेक सुरक्षा प्रणाली की शुरूआत करने में अहम भूमिका अदा की थी. राष्ट्रीय राजधानी में इलेक्ट्रिक बस क्रांति और बस डिपो के विद्युतीकरण को शुरू करने का श्रेय भी दिया गया, जिन्होंने शहर के पुराने बस बेड़े में 1,000 से अधिक ई-बसों को शामिल करने में अपनी भूमिका निभाई.
गहलोत 2015 में AAP में शामिल हुए और पार्टी का जाट चेहरा बन गए. उसी साल उन्हें विधानसभा चुनाव का टिकट मिला और उन्होंने नजफगढ़ से 1,550 वोटों के मामूली अंतर से जीत हासिल की थी. साल 2020 में उन्होंने फिर से जीत दर्ज की थी.