यह घटना वास्तव में बेहद दुखद और हृदयविदारक है। अल्मोड़ा जिले के सल्ट क्षेत्र में दीपावली की खुशी को मातम में बदलने वाली इस हादसे ने कई परिवारों को बुरी तरह प्रभावित किया है। इस हादसे में 36 घरों के दीपक बुझ गए, कई बच्चों ने अपने माता-पिता को खो दिया, और कई परिवारों के लिए इस हादसे ने हमेशा के लिए एक खालीपन छोड़ दिया है। तीन साल की मासूम शिवानी, जिसने इस हादसे में अपने माता-पिता को खो दिया है, उसकी स्थिति सचमुच दिल दहला देने वाली है। उसके लिए यह समझ पाना असंभव है कि अब वह अपने माता-पिता को कभी नहीं देख पाएगी। यह पीड़ा सिर्फ शिवानी के लिए ही नहीं, बल्कि उन सभी परिवारों के लिए एक गहरा दुख और सदमा है जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया है।
जानकारी के मुताबिक, पौड़ी गढ़वाल के दिगोलीखाल की बिरखेत रहने वाली शिवानी रावत (उम्र 3 वर्ष) अपने पिता मनोज रावत और माता चारू देवी के साथ दीपावली का त्योहार मनाने गांव आई हुई थी। तीन साल की शिवानी, जो खुद भी घायल है, अपने माता-पिता के खोने का दर्द सहन नहीं कर पा रही है। उसके छोटे-छोटे हाथों में माता-पिता के साये की कमी का अहसास है, और इस कठिनाई में वह सिर्फ अपने बिछड़े हुए माता-पिता की यादों में खोई हुई है। उसकी मासूमियत और उसकी कराहें इस बात का प्रमाण हैं कि एक बच्चा कितनी गहराई से अपने माता-पिता से जुड़ा होता है। जब वह बीमार होती होगी, तब उसकी माँ उसे गोद में लेकर प्यार करती थी, और अब जब उसे सबसे ज्यादा उनकी जरूरत है, तब वह उनके बिना अकेली है। यह विधाता की क्रूरता है कि जब बच्चों को अपने माता-पिता का सहारा सबसे अधिक चाहिए होता है, तब वे उन्हें छोड़कर चले जाते हैं।
शिवानी की आंखों में वह बेचैनी है, जो हर बच्चे के दिल में अपने माता-पिता के प्रति होती है। वह बस “मम्मी” और “पापा” को पुकार रही है, लेकिन उन पुकारों का कोई उत्तर नहीं है। उसकी आवाज़ में कराह और आंसू हैं, जो एक असीम दर्द को दर्शाते हैं। यह न केवल शिवानी के लिए, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए एक भारी दुख का समय है। ईश्वर से प्रार्थना है कि वह इस मासूम को शक्ति और साहस प्रदान करे।