विपुल पाण्डेय उतराखण्ड
देहरादून के भ्रष्ट विभाग एमडीडीए में हुए खुलासे क़ो लेकर अधिकारी मौन है़ कहीं इस मामले में वो भी लेपेटे में ना आ जाएं इसलिए . बता दे कि जेई प्रशांत सेमवाल जलनिगम से MDDA में डेपुटेशन पर है़ और उनपर आरोप है़ कि भ्रष्ट्चार में पूरी तरह संलिप्त है़ और यही नही भ्रटाचार में संलिप्तता के साथ लोगों को बहुत परेशान करते है़ जिसका एक मामला हाथ लगा सूत्रों नें बताया की बिना पैसे के कोई फ़ाइल क़ो पास नही करते यही नही यें भी कहते है़ क़ि ऊपर बैठे अधिकारियों क़ो भी इसमें सें हिस्सा देना पड़ता है़ बड़ा सवाल यें है़ की क्या ऊपर बैठे अधिकारी भी घूसखोर है़ । मिली जानकारी के मुताबिक अगर ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों की जांच की जाएं तो आय सें अधिक सम्पति देखने को मिलेगी अब देखना यें है़ कि ऐसे भ्रष्ट लोगों पर कब गाज गिरती है़ यें तो आने वाला वक्त बताएगा लेकीन भ्रष्ट अधिकारियों जांच अभि आधी अधुरी है़ । नाम न छापने के शर्त पर प्रशांत सेमवाल के ऑफिस के कर्मचारी बताते है़ की भ्रष्टाचार के मामले में प्रशांत सेमवाल क़ा नाम पहले आता है़ यही नही उसने यें भी बताया है़ कि पूरे MDDA में सबसे ज्य़ादा अवैध निर्माण कार्य इन्हीं के इलाको से कराए जा रहें है़। और यें अपने विभाग जलनिगम में एई पर प्रमोशन हो गया है़ लेकीन अथॉरिटी में अपने गलत और भ्रष्ट काम को जारी रखने के लिए वो अपने विभाग वापस नही जा रहें है़,यही नही गलत तरीके से कमाए गए पैसे के दम पर वो अपनी मर्जिग MDDA में करवाने के लिए लगे हुए है़। इसमें गौर तलब है़ की उनका डेपुटेशन जेई पर हुआ था पर उनकी मर्जिग एई पद पर कराई जा रही है़ जो कि सरासर नियमों की धज्जिया उड़ाकर मानक के विपरीत है़। इस मामले में उत्तराखण्ड सरकार जल्दी ही जांच के आदेश दे सकती है़ और भ्रष्ट अधिकारियों पर प्रशासन क़ा चाबुक चलेगा