बहन-भाई के प्रेम को समर्पित रक्षाबन्धन पर्व पर पढ़िये एक सारगर्भित कविता

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हम सभी की जिंदगी में भाई बहनों के बीच भले ही खूब तकरार होती हो, लेकिन उनके बीच के प्‍यार और स्‍नेह को शब्‍द दे पाना आसान नहीं होता है। भाई-बहन साथ हों या दूर, उनके लिए रक्षाबंधन यानि राखी का त्‍योहार खास मायने रखता है। इस त्‍योहार के बहाने ही सभी भाई बहनों के ज़हन में अपने बचपन की वो खट्ठी-मीठी यादें ताजा हो जाती हैं। जब वो आपस में कभी लड़ते झगड़ते और कभी बेशुमार स्‍नेह के साथ एक दूसरे का साथ निभाते थे। आजकल के दौर में यह बात तो बड़ी पुरानी सी महसूस होती है, कि रक्षाबंधन पर राखी बंधवाकर भाई बहनों की रक्षा का वचन देते हैं। अब तो बहनें भी क्‍या किसी से कम हैं, वो तो छोटे भाईयों की खातिर किसी से भी मुकाबला करने का तैयार रहती हैं। यानि कि अब रक्षाबंधन का त्‍योहार भाई और बहन दोनों को यह अहसास कराता है कि वो दोनों हमेशा एक दूसरे के सुख-दुख में साथ खड़े हैं और रहेंगे

 

ना टूटेगा ये, बन्धन कभी

“ हाँ,

कभी ना टूटेगा ये बन्धन ,

जो जुड़ा है,

यूँ तो , रेशम के महज एक धागे से,

लेकिन कितनी शक्ति है,

इस धागे में,

शायद कोई सोच भी नहीं सकता,

जो जानता नहीं,

इस देश की महान,

सनातन संस्कृति को,

ये बन्धन सिर्फ

भाई का बहिन की रक्षा का वचन नहीं,

बल्कि समर्पण है ,

बहिन के प्रेम का भी,

अक्षुण्ण प्रेम का प्रतीक है ये धागा,

इसलिए सिर्फ रिश्तों को ही नहीं,

जोड़ा है,

इस धागे ने,

लाखों वीर बलिदानियों को ,

अपनी मातृभूमि की रक्षा से,

राष्ट्र के लिए समर्पित,

प्रत्येक राष्ट्रभक्त को,

ध्वज से,

जोड़ता है ये नाजुक सा-

कभी ना टूट सकने वाला धागा,

ये सिर्फ एक त्यौहार नहीं,

संकल्प दिवस भी है,

अपनी मातृशक्ति की रक्षा का,

अपनी मातृभूमि के लिए,

शीश कटा सकने के संकल्प का,

अपनी सनातन संस्कृति की,

रक्षा का संकल्प दोहराना होगा हमें,

वरना ये त्यौहार जो,

प्रतीक है,

हमारी संस्कृति के अक्षत , अविचल होने का,

रह जाएगा,

महज एक रस्म- अदायगी,

आईये, दृढ़संकल्प हो रक्षा करें,

अपनी परम्पराओं की,

अपनी महानतम संस्कृति की,

मातृशक्ति की, और

इस राष्ट्र की,

जो सिर्फ एक जमीन का टुकड़ा नहीं,

देवभूमि है,

जहाँ अवतार लेने को,

ईश्वर भी रहता है लालायित,

जिसकी मिट्टी में लोटने को,

आता है वह बार- बार,

आईये, इस धागे से,

बाँध ले हम भी ,

अपने प्रेम की,

कभी ना टूट सकने वाली डोर

रक्षा के पवित्र बन्धन से ’’

 

– डॉ. श्याम सुन्दर पाठक ‘अनन्त’

( लेखक उत्तर प्रदेश राज्य कर विभाग में असिस्टेंट कमिश्नर पद पर नोएडा में कार्यरत हैं )

1 Comment
  1. Rachna Sharma says

    Superb poem…

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